मक्खन निकालने की बिलौनी जैसा होना चाहिये विचार-विमर्श ।
एक तरफ की ड़ोरी खिंचे तो दूसरी ओर की ढ़ीली हो, तब मक्खन निकलेगा ।
यदि दोनों ओर से रस्सी को अपनी अपनी ओर खींचते ही रहे ,तो कुछ भी सारगर्भित नहीं निकलेगा, सिर्फ समय की बर्बादी होगी ।
(रस्सी टूट जायेगी, गांठ वाली ड़ोरी से फिर मक्खन नहीं निकलेगा/आगे के विचार-विमर्श से भी कुछ हासिल नहीं हो पायेगा)
Life is “Exp+Exp+Exp”.
Yesterday is Experience.
Today is Experiment.
Tomorrow is Expectation.
Use your EXPERIENCE in your EXPERIMENT to Achieve your EXPECTATIONS……
संसार रूपी वृत से, बिंदु रूपी स्वयं की ओर आने की यात्रा ही सार्थक है ।
संसार को समेटने की इच्छा से, अपने आप में सिमटना है ।
चिंतन
केला खाने के बाद छिलका गाय को, तो दानी ।
कचरे में, तो भोगी ।
सड़क पर, तो नाशी ।
कम से कम छिलके का तो सदुपयोग कर लो ।
मुनि श्री कुंथुसागर जी
“The great thing a little lamp can do, which the big sun cannot do is –
it gives light when it is dark”.
No one is superior by size, but by purpose.
मेरी गलतियाँ मुझसे कहिये, औरों से नहीं ;
सुधरना मुझे है, औरों को नहीं ।
(शिल्पी-हैदराबाद)
प्रायः , धर्म याने अपना अपना काम,
जैसे चोर चोरी को अपना धर्म कहता है।
पर असली धर्म के माने हैं –
जो अपना काम* करे।
(चिंतन)
*भला
बच्चों में माँ का खून 9 माह तक घूमता रहता है पर उनका Blood Group अलग अलग होता है ।
अपने अपने कर्मों के अनुसार, सबकी स्वतंत्र सत्ता है ।
चिंतन
“Walking” is the best exercise…!
‘Walk Away’ from arguments that lead you to nowhere but anger.
‘Walk Away’ from people who delebrately put you down.
‘Walk Away’ from any thought that reduces your worth.
‘Walk Away’ from failures and fears that stifle your dreams.
The more you ‘Walk Away’ from things that poison your soul, the happier your life would be.
Gift Yourself A Walk Towards Happiness
वास्तु/ज्योतिष कारक (कारण) नहीं है, सूचक हैं ।
पं बृषभप्रसाद जी जैन
सबसे ज्यादा पूज्य राम को क्यों माना गया है ?
क्षमाभाव की उत्कृष्टता की वजह से ।
कैकई से ही आर्शीवाद मांग रहे थे कि वे उनका वचन निभा सकें ।
मुनि श्री सुधासागर जी
Life is like a Boxing game.
Defeat is not declared when you fall down,
but when you refuse to getup.
जब जिंदगी एक है,
भोजन दो बार ही करते हो,
तो मकान/गाडियाँ बहुत, धन लाखों/करोडों में क्यों ?
बड़े बड़े ज्ञानियों के विचारों को भुला दिया गया पर जिन्होंने अनुभव से सीखा/बताया वे याद रखे गये – महावीर, कबीर, सूरदास आदि ।
आचार्य विद्यासागर जी की अनुभव पर लिखी “मूकमाटी” प्रसिद्ध हुई ।
श्री धर्मेंद्र
Pages
CATEGORIES
- 2010
- 2011
- 2012
- 2013
- 2014
- 2015
- 2016
- 2017
- 2018
- 2019
- 2020
- 2021
- 2022
- 2023
- News
- Quotation
- Story
- संस्मरण-आचार्य श्री विद्यासागर
- संस्मरण – अन्य
- संस्मरण – मुनि श्री क्षमासागर
- वचनामृत-आचार्य श्री विद्यासागर
- वचनामृत – मुनि श्री क्षमासागर
- वचनामृत – अन्य
- प्रश्न-उत्तर
- पहला कदम
- डायरी
- चिंतन
- आध्यात्मिक भजन
- अगला-कदम
Categories
- 2010
- 2011
- 2012
- 2013
- 2014
- 2015
- 2016
- 2017
- 2018
- 2019
- 2020
- 2021
- 2022
- 2023
- News
- Quotation
- Story
- Uncategorized
- अगला-कदम
- आध्यात्मिक भजन
- गुरु
- गुरु
- चिंतन
- डायरी
- पहला कदम
- प्रश्न-उत्तर
- वचनामृत – अन्य
- वचनामृत – मुनि श्री क्षमासागर
- वचनामृत-आचार्य श्री विद्यासागर
- संस्मरण – मुनि श्री क्षमासागर
- संस्मरण – अन्य
- संस्मरण-आचार्य श्री विद्यासागर
- संस्मरण-आचार्य श्री विद्यासागर
Recent Comments