मक्खन निकालने की बिलौनी जैसा होना चाहिये विचार-विमर्श ।

एक तरफ की ड़ोरी खिंचे तो दूसरी ओर की ढ़ीली हो, तब मक्खन निकलेगा ।
यदि दोनों ओर से रस्सी को अपनी अपनी ओर खींचते ही रहे ,तो कुछ भी सारगर्भित नहीं निकलेगा, सिर्फ समय की बर्बादी होगी ।

(रस्सी टूट जायेगी, गांठ वाली ड़ोरी से फिर मक्खन नहीं निकलेगा/आगे के विचार-विमर्श से भी कुछ हासिल नहीं हो पायेगा)

केला खाने के बाद छिलका गाय को, तो दानी ।
कचरे में, तो भोगी ।
सड़क पर, तो नाशी ।

कम से कम छिलके का तो सदुपयोग कर लो ।

मुनि श्री कुंथुसागर जी

“Walking” is the best exercise…!
‘Walk Away’ from arguments that lead you to nowhere but anger.
‘Walk Away’ from people who delebrately put you down.
‘Walk Away’ from any thought that reduces your worth.
‘Walk Away’ from failures and fears that stifle your dreams.
The more you ‘Walk Away’ from things that poison your soul, the happier your life would be.
Gift Yourself A Walk Towards Happiness

सबसे ज्यादा पूज्य राम को क्यों माना गया है ?

क्षमाभाव की उत्कृष्टता की वजह से ।
कैकई से ही आर्शीवाद मांग रहे थे कि वे उनका वचन निभा सकें ।

मुनि श्री सुधासागर जी

बड़े बड़े ज्ञानियों के विचारों को भुला दिया गया पर जिन्होंने अनुभव से सीखा/बताया वे याद रखे गये – महावीर, कबीर, सूरदास आदि ।
आचार्य विद्यासागर जी की अनुभव पर लिखी “मूकमाटी” प्रसिद्ध हुई ।

श्री धर्मेंद्र

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