खाज को खुजाने में सुख तो है,
पर यह सांसारिक सुख है ।
खाज होना ही नहीं, आत्मिक सुख है ।

सांसारिक इच्छाओं की पूर्ति में सुख है,
पर इच्छाऐं होना ही नहीं आत्मिक सुख ।

भगवान/गुरू/शास्त्र को ऊँचे आसन पर क्यों बैठाते हैं ?
दीपक को ऊँचे आसन पर क्यों रखते हैं ?

ताकि प्रकाश अधिक से अधिक स्थान तक पहुँचे ।

मुनि श्री तरुणसागर जी

Archives

Archives
Recent Comments

April 8, 2022

February 2025
M T W T F S S
 12
3456789
10111213141516
17181920212223
2425262728