परवश में बहुत कुछ सहन करते हैं, स्ववश में कुछ भी नहीं,
तो परभव (भविष्य) में बहुत कुछ परवश सहन करना पड़ेगा।

मुनि श्री विश्रुतसागर जी

कर्म अपना फल ब्याज सहित देते हैं ।
क्योंकि वर्तमान के कर्म उसमें Addition कर देते हैं ।
ब्याज भी चक्रव्रद्धि,
क्योंकि पहले Addition के बाद जो योग आया उस पर आगे वर्तमान के कर्म फ़िर से Addition कर देते हैं ।

चिंतन

आस्था/धर्म ऐसा जुआ है जिसमें खोने को कुछ भी नहीं है पर जीत गये तो वारे न्यारे,
Homeopathy दवा है जिसके side effect कुछ भी नहीं, अगर फ़ायदा हुआ तो आनंद ही आनंद ।

वैज्ञानिक पास्कल

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