एक ही नाम के कई सारे जीव हैं इस संसार में,
तो नाम का क्या महत्व रहा !!
आत्मा का कोई नाम नहीं होता ।

आचार्य श्री विद्यासागर जी

धीरे धीरे टहलने से वज़न कम नहीं होता, बढ़ और जाता है ।
बिना तप करे, छोटे मोटे नियमों से कर्म कटते नहीं हैं बल्कि बढ़ जाते हैं ( कटते कम, बंधते ज्यादा हैं ) ।

चिंतन

बताना तो ठीक है, पर मनवाने से कषाय पैदा होती है ।
समझाना तो ठीक है, पर सामने वाले की समझ में आया या नहीं, उलझने का काम है ।

आचार्य श्री विद्यासागर जी

मंदिर की क्या जरूरत है, भगवान तो हमारे दिल में है ?

आपके प्रियजन भी तो आपके दिल में हैं, फिर उनसे मिलने क्यों जाते हो ??

मुनि श्री प्रमाणसागर जी

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