धन दौलत खाद के समान है,
यदि सही उपयोग नहीं किया तो सड़ जायेगी, बदबू देगी, सही उपयोग करने पर अच्छी फसल मिलेगी ।

श्री सुनील

लोग मंज़िल को मुश्किल समझते हैं,
हम मुश्किल को मंज़िल समझते हैं |
बडा फ़र्क है लोगों में और हम मैं,
लोग ज़िंदगी को दोस्त और हम दोस्त को ज़िंदगी समझते हैं ||
आदतें अलग हैं हमारी दुनियाँ वालों से,
कम दोस्त रखते हैं मगर लाज़वाब रखते हैं |
क्योंकि बेशक हमारी माला छोटी है,
पर फूल उसमे सारे गुलाब रखते हैं ||

अज्ञान दशा में जोड़ा है (जरूरत से ज्यादा) तो ज्ञान दशा में छोड़ दो ।

आचार्य श्री विद्यासागर जी

किसकी बात मानें ?
मन की ?
मन तो मोह में मदहोश रहता है !!

दूसरों की ?
वे भी रागीद्वेषी हैं, सही सलाह कैसे देंगे !!

सच्चे देव, गुरू. शास्त्र की मानो,
उन्हें सुनकर, समझकर अपने विवेक की मानो ।

चिंतन

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