साधू बनाये नहीं जाते, बन जाते हैं ।
एक भक्त ने भगवान से कहा –
मैं आपसे मिलना चाहता हूँ ।
भगवान – जब चाहो मिल लो, मेरे दरवाजे हमेशा खुले रहते हैं ।
भक्त – पर मैं आपको पहचानुंगा कैसे ?
भगवान – अपने आप को पहचान लो, बस मुझे पहचानने में दिक्कत नहीं आयेगी ।
(शशि)
My pain be the reason for somebody’s laugh.
But my laugh must never be the reason for somebody’s pain.
– Aacharya Vishudh Sagar Ji
किसी की सहायता करते समय सोचो – “यह उसका आखिरी दिन है”
ताकि अधिक से अधिक और मन से कर सको ।
सहायता करने के बाद सोचो – “यह मेरा आखिरी दिन है”
ताकि बदले में लेने का भाव ना आ जाये ।
चिंतन
धर्म जीवन नहीं देता है, जीने की कला देता है ।
मुनि श्री प्रमाणसागर जी
A wise man is one who forgets the faults of others and remembers his own.
(Mr. Sanjay)
पेड़ की छाया (शरण) Temporary है, पतझड़ में नहीं ।
संसारी शरण ऐसी ही है ।
परिवर्तन तो आवश्यक है क्योंकि – अनुभवों के साथ जीवन को लगातार बेहतर बनाना चाहिये,
यदि गैंहूँ में बदलाव नहीं किया तो उसमें घुन लगेगा ही ।
चिंतन
What you do today is important because you are exchanging a day of your life for it.
(Mrs.Ekta)
स्वागत सबका,
संग्रह किसी का भी नहीं।
मुनि श्री प्रमाणसागर
अशुद्ध दवा भी बीमारी पैदा करती है, अशुद्ध अन्न शरीर का क्या करेगा ?
चिंतन
A mother is one who can take the place of all others, but whose place no one else can take.
Happy Mothers day.
(Dr. S. M. Jain)
नीति से चपरासी बनना भी मंज़ूर होना चाहिए, अनीति के साथ चक्रवर्ती बनना भी उचित नहीं ।
गुरुवर मुनि श्री क्षमासागर जी
एक ही चीज है जो भगवान से भी नहीं ड़रती । वह है कर्म, भगवान को भी सहने पड़ते हैं ।
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