“You always attract people by the quality you display.
But, you always retain people by the quality you possess.”

(J.L.Jain)

अच्छे कर्म यदि बुरे भाव से किये जायें तो परिणाम शून्य।
बुरे कर्म अच्छे भाव से, तो भी शून्य।

गुरुवर मुनि श्री क्षमासागर जी

नियम/ व्रत/ त्याग बुद्धि (Wisdom) से लिए जाते हैं। मन तो रोकता है, व्रत आदि लेने के बाद भी मन सिर उठाता रहता है। हाँलाकि Knowledge/ शक्ति दोनों में आत्मा से ही आती है। मन बहुत Flexible होता है मजबूत से मजबूत तथा कमज़ोर से कमज़ोर भी बना सकते हैं।

मुनि श्री प्रणम्यसागर जी

भात (भोजन) को देखभाल कर कि विषाक्त/ ज्यादा तीखा/ बदबूदार न हो, 32 बार मुँह में चबाया जाता है, तब शरीर को लाभकर होता है, वरना शरीर को स्थायी Damage.
क्या बात को 32 seconds मुंह में नहीं रख सकते !
क्या बात निकलने से पहले Check नहीं कर सकते कि ये सम्बंधों के लिये विषाक्त/ Damaging/ तीखी तो नहीं !
क्या बात में से दुर्गंध तो नहीं आ रही !!

चिंतन

बच्चे को मंदिर भेजने के लिये शर्त रखी → भगवान के दर्शन करके आओगे तभी भोजन मिलेगा।
वह बाहर गया और झूठ बोल दिया कि दर्शन कर आया।
माँ ने माथे पर चंदन की शर्त रख दी।
अगले दिन से वह मंदिर में भगवान की जगह चंदन ढ़ूँढ़ने लगा।
(बड़े-बड़े चंदन के टीके वाले भी दिखावे के लिये धर्म करते हैं)

निर्यापक मुनि श्री सुधासागर जी

शरीर देवालय है, आत्मा देव।
देव की पूजा/ साधना के लिये देवालय होता है।
पर प्रीति तो देव से ही,
देवालय से न प्रीति ना ही द्वेष।

गुरुवर मुनि श्री क्षमासागर जी

अतीत का तो मरण हो चुका है। पर हम स्वीकारते नहीं, उसमें बार-बार, घुस-घुस कर सुखी/ दुखी होते रहते हैं।

आचार्य श्री विद्यासागर जी

एक बहुत गरीब पिता के बेटे के IAS बनने के अनुभव/ शिक्षा…..

जीवन में कठिनाइयाँ हैं/ आयेंगी, उनसे संघर्ष का नाम ही जीवन है।
दु:ख अलग है जैसे प्रियजन का विछोह।
कठिनाइयों से दुखी न होकर संघर्ष करने वाला ही सफल/ संतुष्ट होता है।

इंद्रजीत सिन्हा (IAS)- झारखण्ड

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