The pain is not on the day of missing our dear ones.
The pain is really when you live without them with their presence in your mind.

(Ms. Shuchi)

पहले अनुकूल परिस्थतियों में आनंद से रहना सीखें,
फिर प्रतिकूल परिस्थतियों में आनंदित रहने की आदत ड़ालें ।

तब आप आनंद से परमानंद की ओर बढ़ने लगेंगे/मोक्ष नज़दीक आ जायेगा ।

चिंतन

समता की साधना और चारित्र की पवित्रता ही मोक्षमार्ग को प्रशस्त करती है ।

गुरुवर मुनि श्री क्षमासागर जी

सबसे बड़ा ऐव संकोच है,
यही हमारे कल्याण में बाधक है ।
यह आता है, इस भाव से कि – हम सबको प्रसन्न रखें ।
पर हम भूल जाते हैं कि – ना हम किसी को प्रसन्न रख सकते, ना नाराज़,
सब अपने अपने कर्मोदय से सुखी-दुखी होते हैं ।

क्षु. गणेशप्रसाद वर्णी जी

एक कदम चलने वाला भी हजारों मील चल लेता है, कहीं से चलें तो सही ( प्रारंभ तो करें ) |

आचार्य श्री विद्यासागर जी

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