ममता दु:ख का कारण है,
समता सुख का कारण।

स्वामी विवेकानंद जी के प्रसिद्ध अमेरिका भ्रमण के दौरान, किसी अमेरिकन ने उनकी धोती दुपट्टे वाली वेषभूषा देखकर comment किया – “He does not appear to be a gentleman.”

स्वामी विवेकानंद – “Oh! In this country gentlemen are made by Tailors ?
In our country gentlemen are made by character.”

(Dr. P. N. Jain)

परीक्षा तो खुद ही देनी होगी, चाहे परीक्षा देते देते पसीना क्यों ना आ जाये ।
परीक्षा में सफ़लता पाने पर कुलपति/राष्ट्रपति आपको सम्मानित करने आ जायेंगे ।

आचार्य श्री विद्यासागर जी

जीर्णोद्दार बहुत महत्वपूर्ण है,
पर नवनिर्माण भी भविष्य के लिये, अगली पीढ़ीयों को संस्कार देने के लिये जरूरी है ।

आचार्य श्री विद्यासागर जी

अपना शरीर ‘पर’ है,
शरीर से संबधित/जन्म लिये बच्चे पर से भी परे हैं ।
बच्चों के बच्चे तो कितने परे हैं/ कितनी Generations/पीढ़ियां दूर हैं ?

कब तक अपने को भूल कर पर के पीछे लगे रहोगे ??

चिंतन

श्रद्धा बेशक और बेतर्क होनी चाहिये,
श्रद्धा की ज्योति अपनी ही सांसों से बुझती है,
अहंकार से श्रद्धा गिर जाती है,
अहंकार और स्वाभिमान छोड़कर, हमको निरभिमान पर पहुँचना है,
सही स्थान पर श्रद्धा हमारे उत्थान में कारण और खोटे स्थान पर अवनति का कारण है ।

गुरुवर मुनि श्री क्षमासागर जी

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