पुण्य क्रियायें रेल्वे की टिकिट हैं, जो आपको गंतव्य तक ले जाती हैं ।

बाई जी

भूमिका यानि भूमि तैयार करना।
ध्यान रहे, हमारा जीवन भूमि तैयार करने में ही न निकल जाये।

आचार्य श्री विद्यासागर जी

प्रश्न:- मेरे अच्छे कर्मों का इनाम कोई दूसरा ले जाये तो दुःख तो होगा न ?

श्रीमति शर्मा

उत्तर:-

  • शुभ कर्म करते ही आपकी भाग्य पुस्तिका में तुरन्त Entry हो जाती है ।
  • इस शुभ कर्म का यदि प्रचार प्रसार कराना चाहते हो तो पंड़ाल आदि लगाने का खर्चा कहां से आयेगा  ?
    आपकी ही पास-बुक से वह खर्चा निकाला जायेगा।
    क्या आप चाहते हैं कि आपकी जमा पूंजी कम हो  ?
  • क्या ये कम है कि आप उस कर्म से और अच्छे इन्सान बन गये ?

Projectile Motion अधिक से अधिक किसी वस्तु को दूर फेंकने के लिये Sin 2 Ø से Calculate किया जाता है।
इसमें यदि Ø = 45 ड़िग्री  हो तो Sin 2 Ø अधिक से अधिक यानि एक हो जायेगा।

सो अपने को अधिक से अधिक परिणाम लेने के लिये 45 ड़िग्री यानि बीच का रास्ता लेना होगा –
ना अकड़ के खड़े रहो ( 90 ड़िग्री नहीं ), ना किसी के सामने लेटो ( 0 ड़िग्री नहीं ) ।

मुनि श्री अनुभव सागर जी

एक विद्यार्थी C.A. में तीन बार फेल होकर आचार्य श्री विद्यासागर जी के पास बड़ा निराश होकर आया।

आचार्य श्री – तुम्हारा अनुभव तो बढ़ा न ?

आचार्य श्री विद्यासागर जी

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