You know, why do relations break ?
It’s because people fail to realize that,
If you can’t handle someone at their worst, then you don’t deserve them at their best.

(Shri Dharmendra)

जब खर्च कर रहे हो तो मान के चलिए कि पुण्य की कमाई है,
और जब दान दे रहे हो तो मान के चलिए कि पाप की कमाई है,
सो दिल खोल के दान दें ।

मुनि श्री सुधासागर जी

आलोचक कैंची हैं जो बस काटते ही रहते हैं ।
प्रशंसक सुई हैं जो सिलते/जोड़ते रहते हैं ।
कैंची को दर्जी पैरों में रखता है, सुई को पगड़ी में रखता है ।
आप कहाँ रहना चाहते हो ?

मुनि श्री तरुणसागर जी

हम सब पाँच गेंदों को हवा में उछाल उछाल कर खेल रहे हैं ।
इन गेंदों के नाम हैं – व्यवसाय, परिवार, स्वास्थ, मित्र और नैतिकता ।
व्यवसाय की गेंद तो रबड़ की है, गिर भी गयी तो फिर उछल कर हाथ में आ जायेगी ।
पर बाकी चारौं गेंदें, काँच की हैं – एक बार हाथ से छूटीं तो टूट जायेगीं, फिर जुड़ नहीं पायेंगी ।
व्यवसाय/नौकरी के लिये बाकी चारौं को टूटने मत देना ।

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