एक सेठ के घर तोता पला था, वह उसे पिंजड़े में नहीं रखता था ।
एक दिन सेठ ने अपने घर के आसपास एक बिल्ली देखी ।
सेठ ने तोते को बताया कि – बिल्ली आए, तो उड़ जाना ।
वह रोजाना उसे याद दिलाता था, तोता भी दिन भर बोलता रहता था – बिल्ली आए तो उड़ जाना – बिल्ली आए तो उड़ जाना
एक दिन सचमुच बिल्ली आ गयी ।
तोता बोलने लगा – बिल्ली आए तो उड़ जाना – बिल्ली आए तो उड़ जाना, पर उड़ा नहीं,
बिल्ली तोते को खा गयी ।
हम भी अच्छी बातें बोलते हैं, पर समय आने पर क्रियान्वित नहीं करते हैं ।
- तकिया : अच्छा वह माना जाता है जो मुलायम हो और मालिक के अनुसार अपना अस्तित्व बदल दे/अपना आकार बदल ले।
- मनुष्य : अच्छे बुरे का ध्यान रखकर ही अपने को बदले, तकिये की तरह नहीं।
ज़रूरत पड़ने पर कभी मुलायम, कभी कठोर बने।
- आत्मा : जब तक संसार में है, शरीर के अनुसार अपना आकार बदलती है,
मुक्त होने के बाद आकार बदलना बंद हो जाता है।
चिंतन
सरसरी निगाह से देखने का मतलब रूचि नहीं, सबकुछ गौण।
यदि किसी प्रिय वस्तु पर निगाह टिक गयी तो विकार आए बिना रहेगा नहीं।
आचार्य श्री विद्यासागर जी
Q. – किसी के लिये बहुत ज्यादा करो और वो प्रतिक्रिया अच्छी न दे तो मन का दुखी होना स्वाभाविक है ना ?
श्रीमति शर्मा
A. – संसार के न्यायालयों में भी एक गुनाह की दो सजायें नहीं मिल सकतीं ।
फिर कर्म सिद्धान्त के न्यायालय में एक पुण्य-कर्म के दो इनाम कैसे मिल सकते हैं ?
पहला इनाम-पुण्य का फल तो आपके खाते में जमा उसी समय हो गया जब आप ने किसी के लिये कुछ किया ।
फिर आप सामने वाले से अच्छी प्रतिक्रिया के रूप में दूसरे इनाम की चाहना क्यों रखते हैं ?
वैसे भी सामान्य से अधिक यदि आप किसी के लिये कुछ करते हैं तो क्या आप कर्म-सिद्धान्त में दखलंदाजी नहीं कर रहे हैं ?
यह अधिकार आपको किसने दिया ?
सलाह – किसी पर अति उपकार मत करो,
वरना बदले में आपके अंदर चाहना की भावना आना स्वाभाविक है ।
क्रोध की गाड़ी हमेशा ढ़लान पर चलती है।
(पति का क्रोध पत्नी पर, पत्नी का नौकरानी पर आदि)
सम्यग्दर्शन पेज 346
कम खाना, गम खाना,
न हाकिम पर जाना, न हकीम पर जाना ।
* हाकिम = अफ़सर
सम्यग्दर्शन पेज 343
कैरम के खेल में अच्छा खिलाड़ी एक गोटी लेते समय यह ध्यान रखता है कि
अपनी तो अगली गोटी बन जाऐ/ अच्छी Positon में आ जाऐ और दूसरे खिलाड़ी की बिगड़ जाए ।
हम भी यह संसारी खेल ऐसा ही खेलें –
अपनी गोटी ले लें याने वर्तमान का तो काम हो जाए और अगले जन्म रूपी गोटी बन जाए / अगला जन्म भी अच्छा हो जाए,
और पापकर्म रूपी गोटियों की Positon बिगड़ जाए ।
चिंतन
औरों के घर की धूप उसे क्यों पसंद हो,
देख ली हो रोशनी जिसने अपने मकान की ।……….(भव्य)
या
बेच दी हो रोशनी जिसने अपने मकान की ।………..(अभव्य)
बादल के ऊपर पहुंच जाओ तो पानी, बिजली का ड़र नहीं रहता।
The BASIC Difference Between GOD & HUMAN Is –
GOD – Gives, Gives, Gives & FORGIVES
However
HUMAN – Gets, Gets, Gets & FORGETS.
(Dr. Sudheer)
मान-थोड़े समय के लिये घमंड़ ।
मद-लम्बे समय के लिये घमंड़ ।।
—मद मदिरा बन जाता है, इतराना शुरू हो जाता है।
चिंतन
दीपक बुझाना नहीं है,
जले हुऐ दीपक का महत्त्व समाप्त हो जाता है क्योंकि सवेरा हो गया है।
श्री रवीन्द्रनाथ टैगोर
पूजा आदि धार्मिक कार्यों के लिये ‘निपटाना’ शब्द का प्रयोग अटपटा लगता है, लेकिन सांसारिक कामों के लिये आम तौर पर प्रयोग क्यों होता है ?
संसार के कामों को तो हम समाप्त करना चाहते हैं,
पर धार्मिक क्रियाओं को नहीं।
चिंतन
बड़ों का बड़प्पन इसी में है कि वे छोटों को छोटा न समझें।
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