कर बोले कर ही सुने, श्रवण सुने नहीं ताय ।
( एक हाथ जब दूसरे हाथ की नब्ज़ देखता है तब कान को भी आवाज़ नहीं आती है )

दान देते समय किसी को पता नहीं लगना चाहिये ।

श्री लालमणी भाई

नाव पानी पर चले तो ठीक,
पानी नाव में नहीं भरना चाहिये, वरना ड़ूब जायेगी ।

वैभव/संसार हमारे मन में न भर जाये, वरना हम भी ड़ूब जायेंगे ।

श्री चक्रेश भैया

अपने जीवन को व्यवस्थित करने के लिये Time Table बनाते हैं, इसे बंधन ना मानें ।
यह तो हमें अधिक Tensions के बंधनों से मुक्त करता है ।

छोटे छोटे बंधन हमें निर्बंध करने के लिये होते हैं ।

तेल उबल रहा हो, तो पानी के छींटे ड़ाल कर ठंड़ा करने की कोशिश कभी मत करना ।
तेल और उफनेगा और आपके ऊपर भी छींटे आऐंगे ।

जब सामने वाला गुस्से में हो तो कभी सलाह मत देना ।

चिंतन

वाहनों में आगे देखने के लिये बड़ी सी Screen रहती है,
पीछे देखने के लिये छोटा सा शीशा ।

(श्री एस. के. जैन )

Past का महत्त्व सिर्फ इतना है कि गतवर्ष में की गई गलतियों से सबक सीखें,                                ताकि वे Repeat ना हों ।
ज्यादा समय नववर्ष को संवारने में लगायें ।

नयन यानि ‘नय + न’,
यानि नयों के परे।
शांत, निर्विकल्प तथा सरल दृष्टि वाले ही ‘नयन’ होते हैं ।

(बाकि सब तो सिर्फ दिखने वाली आँखें हैं, नयन नहीं क्योंकि नयों के परे यानि दौनों आँखोँ या दृष्टियों से देखना, अनेकांत दृष्टि, एक आँख से देखना एकांत है । )

आचार्य श्री विद्यासागर जी

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