एक दिन अकबर ने बीरबल से कहा की तुम इतने होशियार हो तो तुम्हारे पिता कितने होंगे, कल उन्हें दरबार में लेकर आओ । पिता तो इतने होशियार थे नहीं , पर बीरबल ने उनको एक गुर सिखा दिया ।
अगले दिन अकबर बड़े बड़े प्रश्न लेकर तैयार बैठा था, प्रश्न किया पर पिताश्री मौन रहे और मुस्कुराते रहे ।
अकबर ने बीरबल से पूछा – ये मेरे प्रश्नों का ज़बाब क्यों नहीं दे रहे हैं ?
बीरबल ने कहा – खता माफ़, ये बेवकूफों से बात नहीं करते ।

हम दुनियासे क्यों बात करते हैं ?

आचार्य श्री महाप्रज्ञ जी

माँ काम करते समय बच्चे को दूर रखने के लिये खिलौना दे देती है, वह मग्न हो जाता है ।
वैभव भी खिलौना है, जिसे मिला वह प्राय: जिनवाणी माँ से अलग हो जाता है ।
जब माँ पास बुलाना चाहती है तो खिलौना छीन लेती है, गोदी में ले लेती है ।

वैभव छिनने पर यही सोचें कि जिनवाणी माँ अपने पास बुला रही है ।

जाप, पूजा आदि बैठकर या ख़ड़े होकर करने के लिये क्यों कहा है ?
बैठने से 90 Degree का Angle बनता है, लेटने से “0” Degree का ।
यदि हम अपना ध्यान / Efficiency 90% (100% जो आजकल हो नहीं सकती ) रखना चाहते हैं तो बैठकर या ख़ड़े होकर करें ।

चिंतन

धर्म की राह पर प्रगति करना चाहते हो ?

  • यदि नहीं, तो बात खत्म ।
  • यदि हाँ, तो –
  1. Admit करें की आपमें कमजोरियाँ हैं ।
  2. उनकी List बनायें ।
  3. किसी गुरू की तलाश शुरू करें ।
    गुरू –
    A – जो श्रद्धा, ज्ञान, चारित्र में आपसे श्रेष्ठ हों ।
    B – जो आपको समय दे सकें ।
  4. उन्हें Weaknesses की  List बताकर उन्हें दूर करने के उपाय के बारे में  Discuss करें ।
  5. अभ्यास करें । गिरेंगे, गिरने से सीख लें, उठें, फिर चलें ।
  6. गुरू को Regularly Visit करें, उनके Touch में रहें । उन्हें बतायें – क्यों गिरे, क्या सीखा, प्रायश्चित लें ।
  7. धार्मिक और ईमानदार लोगों की संगति रखें ।

मोक्षमार्ग प्रशस्त होगा ।

चिंतन

अति ( Excess ) के बिना इति ( Goal ) से साक्षात्कार करना संभव नहीं,
पीड़ा की अति ही, पीड़ा की इति/End है,
पीड़ा की इति ही, सुख का अर्थ है,
पीड़ा को सहना ही, वास्तविक और सात्विक सुख है ।

आचार्य श्री विद्यासागर जी

रिश्ते और रास्ते एक सिक्के के दो पहलू हैं,
कभी रिश्ते निभाते निभाते रास्ते बदल जाते हैं,
कभी रास्ते पर चलते चलते रिश्ते बन जाते हैं ।

(श्रीमति उदया)

सफ़ेद कैनवास पर छोटा सा काला धब्बा लगाकर पूछने पर कि क्या दिखा ?
सब यही कहेंगे कि काला धब्बा दिखा ।

इतना बड़ा सफ़ेद कैनवास नहीं दिख रहा और छोटा सा काला धब्बा दिख रहा है क्योंकि,
हमारी प्रकृति ही बुराईयों को देखने की है ।

( Dr. P. N. Jain )

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