श्रीफल नमकीन पानी को मीठा करके लौटाता है, इसलिये भगवान / गुरु पर चढ़ता है।

मुनि श्री क्षमासागर जी

आचार्य श्री विद्यासागर जी के संघ का विहार चल रहा था, बाहर कहीं एक गाना चल रहा था, “दुनिया बनाने वाले क्या तेरे मन में समायी, तूने काहे को दुनिया बनायी”,
आचार्य श्री विद्यासागर जी ने कहा कि ऐसे कहो “दुनिया बसाने वाले क्या तेरे मन में समायी, तूने काहे को दुनिया बसायी” ।

प्रशंसा चाहना तथा 3 गारव – 1 ऋद्धि ( इष्ट द्रव्य का लाभ ), 2 रस ( मिष्ट भोजन आदि की प्राप्ति ), 3 सात ( सुखद शयनादि स्थान ) में द्रढ़ चित्त वाले को ।

कर्मकांड़ गाथा : – 808

साधु को जंगल में एक बूढ़ी लोमड़ी दिखाई दी, जिसके चारौ पैर नहीं थे, साधु परेशान – ये ज़िंदा कैसे है? खाती कैसे है? इतने में एक शेर आया, मुँह से खाना उगला, लोमड़ी ने खाना खाया, शेर चला गया।

साधु को उस नाचीज़ लोमड़ी के खाने और सुरक्षा के इंतज़ाम को देख, दैवीय शक्ति पर पूर्ण विश्वास हो गया। वह भी पास में ही नियम लेकर बैठ गया कि अब तो मेरे भोजन/सुरक्षा का इंतज़ाम देवता ही करेंगे। बहुत दिन निकल गये देव ने कुछ नहीं किया, साधू नाराज हो, देव को बुरा भला कहने लगा।

देव प्रकट हुये और पूंछा नाराज क्यों हो रहे हो ?

साधु – तुम इस लोमड़ी के लिये तो सब इंतज़ाम करते हो पर सबसे श्रेष्ठ कृति, इस मनुष्य के लिये कुछ नहीं किया,  तीन दिन से भूखा बैठा हुआ हूँ।

देव बोले कि लोमड़ी से क्यों अपनी तुलना करते हो, तुमको तो हाथ, पैर, बुद्धि, सब मिला है, तुम तो शेर से भी श्रेष्ठ हो, अपना इंतज़ाम खुद कर सकते हो, शेर की तरह दूसरे निर्बलों का भी उपकार कर सकते हो, देव का मुँह क्यों ताकते हो !! पुरूषार्थ करो।

आचार्य श्री दुसरे मुनिराजों के साथ शौच के लिये जाते थे वहां पर कचड़े का ढ़ेर था और उससे बहुत दुर्गंध आती थी । मुनिराजों ने आचार्य श्री से शौच का स्थान बदलने के लिये निवेदन किया ।
आचार्य श्री – इसी गंदगी से तो हम सब पैदा हुये हैं, इससे घ्रणा कैसी ?

(श्रीमति प्रतिभा)

जैसे कमजोर गाय भी बछड़े को दूध पिलाकर हष्ट-पुष्ट करती है,
ऐसे ही अल्पबुद्धि जीव भी धर्म-प्रभावना करके दुसरों को आत्मरूप से बलबान बना सकते हैं ।

पांड़व-पुराणम् पृष्ठ 20

पुर्व जन्मों के पापों की सजा इस जन्म  में क्यों ?

लक्ष्मी से गीता ने रुपये उधार लिये पर लौटाने के समय मन में बेईमानी आ गयी, पंचायत बैठी,
गीता ने लक्ष्मी से पूछा – जिस औरत को तुमने रुपये उधार दिये थे, वो किस रंग की साड़ी पहने हुये थी ?
लक्ष्मी – लाल रंग की।
गीता ने पंचों से कहा कि मैं तो नीली साड़ी पहने हुए हूँ, कर्जा लाल साड़ी वाली महिला को चुकाना चाहिये।

हमने भी पर्याय बदल कर यह नया शरीर धारण कर लिया है, तो क्या पुराना कर्जा हमको नहीं लौटाना पड़ेगा ?

महुआ चातुर्मास के दौरान पूरी रात पूजा की गई और विधि पूर्वक नहीं की गई ।
आचार्य श्री से निवेदन किया गया कि आप इसे रोकें ।
आचार्य श्री – कोई पूछेगा तो बोलुंगा ।

पं. रतनलाल बैनाडा जी

1 ठग सेठ को ठगने पहुँचा। वहाँ देखा कि सेठ तो किसी को भी पैसे उधार दे रहा है। उसने भी 1 लाख रू. उधार मांगे।
सेठ ने दे दिये और पूछा कि कब लौटाओगे?

अगले जन्म में।

सेठ ने बहीखाते में लिख लिया। ठग खुशी खुशी अपने गांव की ओर जाते समय एक जानवरों के तवेले में रूक गया। वहां दो बैल आपस में बात कर रहे थे।
पहले बैल ने कहा – आज मैंने किसान से पिछले जन्म के उधार लिये हुये 100 रू, दिन रात मेहनत करके चुका दिये, अब मैं मुक्त हूँ, अगले जन्म में अच्छी पर्याय पा कर सुख से रहूँगा।

दूसरा बैल दुःखी हो रहा था, क्योंकि उसने तो पिछले जन्म में  किसान से 1000 रू. उधार लिये थे, उसे तो अभी बहुत दिन किसान की सेवा करनी थी पर उसने कहा कि एक तरकीब है – यदि कोई मुझे किसान से 2000 रू. में खरीद ले तो किसान 1000 में तो दूसरा बैल खरीद लेगा और मेरा 1000 रूपया चुक जायेगा। खरीदने वाले को भी घाटा नहीं होगा, वह मुझे राजा के हाथी से लड़वाकर 1 लाख रू. ईनाम के जीत सकता है।

पहले बैल ने पूछा कि तू हाथी को हरायेगा कैसे?
दूसरे ने कहा कि उस हाथी पर मेरे पिछले जन्म के 5000 रू. उधार हैं, वो मुझसे  लड़ेगा नहीं।

यह सुनने के बाद, पहला बैल मर गया और ठग को विश्वास हो गया।

ठग ने किसान से बैल खरीद कर हाथी से लड़वाया और हाथी जैसे ही बैल के सामने आया, बैल ने उससे अपने उधार लिये हुये 5000 रू. मांगे और यह सुनकर हाथी पीछे  भाग गया  और ठग को 1 लाख रू. इनाम के मिल गये ।

रूपये लेकर ठग सेठ के पास लौटाने गया, पर सेठ ने लेने से इंकार कर दिया, क्योंकि उसके बहीखाते में पैसे लौटाने की तारीख अगले जन्म की थी । ठग के बहुत प्रार्थना करने के ज़बाब में सेठ ने बताया की वह तो व्यापारी है और Fix Deposit की तरह जितने अधिक समय के लिये पैसे उधार ( Invest ) देगा, उतना ही ज्यादा Rate of Interest  उसे मिलेगा ।

हताश ठग ने उन 1 लाख रूपयों से उस शहर में एक तालाब खुदवाया पर पानी किसी को नहीं लेने देता था, पूछने पर बोलता था कि यह तालाब सेठ का है और उनकी आज्ञा के बिना कोई पानी नहीं ले सकता । लोग सेठ को लेकर उसके पास आए, तब ठग बोला की यह आपके पैसों का ही है यानि कि आपका ही तालाब है और पानी तब लेने दूंगा, जब आप मेरे को 1 लाख रूपये वापस मिलने की रसीद दे देगें, ताकी मुझे अगले जन्म में बैल आदि बनकर आपकी उधारी ना चुकानी पड़े । सेठ ने पावती दे दी ।

(श्री सौरभ)

क्या हमने मां, बाप, गुरू, समाज, धर्म और देश का कर्जा चुकाने के बारे में कभी सोचा है ?

प्र.- राम भी तो हिरण के पीछे भागे थे, यदि हम जैसे साधारण आदमी भाग रहे हैं, तो इसमें बुराई क्या है ?

उ.- राम सोने के हिरण के पीछे भागे जरूर थे, परन्तु अन्त में उस माया को मार दिया था/समाप्त कर दिया था।
और हम माया के पीछे भागते ही जा रहे हैं, अंतहीन, अंतिम दिन तक। यह फ़र्क है हम में और राम में।

Archives

Archives
Recent Comments

April 8, 2022

January 2025
M T W T F S S
 12345
6789101112
13141516171819
20212223242526
2728293031