कुंठित जीवों को सुकून दोगे तो कर्मों की निर्जरा होगी ।
जीवन में दो चीजें सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण हैं ।
1. परिणाम
2. परिमाण
मुनि श्री क्षमासागर जी ( कर्म कैसे करें ? )
संसार एक बिज़ूका ( खेत में खड़ा पुतला ) है, उसके साथ हमने अपने Relation स्थापित कर लिये हैं ।
भक्ति में Repetition है, ज्ञान में नहीं ।
चिंतन
यदि आप कहीं जा रहे हैं और बिल्ली रास्ता काट जाये तो इसका क्या मतलब है ?
बिल्ली भी कहीं जा रही थी !
(श्री धर्मेंद्र)
विदेशों में कई जगह बिल्ली का रास्ता काटना शुभ माना जाता है ।
कुछ दिन धर्म का अभ्यास करके घास फूंस (विकार/कषाय) हटाकर, क्षमा का पानी ड़ाल कर, जो खेत जोता (तप/संयम) है, उसे उसी Stage पर छोड़ दिया तो पहले से भी बुरे हाल में लौटोगे (मिला तो कुछ नहीं, पसीने पसीने हो गये) |
क्या Operation की Table पर लेट कर केवल पेट खुलवाकर वापस आओगे ?
धर्म का प्रयोग करके फसल का इंतज़ार तो करो ।
ड़ाकूओं ( पापोदय ) के आ जाने पर स्वीकार कर लें, वरना पैसे तो छीनेगें ही, मार ( आगे के कर्म बंध ) भी बहुत पड़ेगी ।
एक नाई लोगों की मालिश करते करते ऊब गया और दुःखी होकर कुंये में गिर कर अपनी जान दे दी ।
गिरने की आवाज सुन मेंढ़क के सरदार ने पता किया कि कौन गिरा,
और यह पता लगने पर कि नाई मरा है, उसने नाई को बुलवा कर अपनी मालिश शुरू करवा दी ।
श्री लालमणी भाई
कर्म कभी समाप्त नहीं होते, आत्मघात करने से भी नहीं, बढ़ ही जाते हैं ।
विहार करते समय आचार्य श्री ने कहा -यदि पट्टी (सड़क पर खींची सफेद पेंट की लाईन) पर चलोगे तो पट्टी नहीं बंधेगी (पैरों पर) ।
( सड़क के बीच में कांटे भी नहीं होते हैं और पेंट की वजह से वहां सड़क Smooth तथा गर्मीयों में गर्म भी कम होती है )
कुछ बच्चे School ( धर्म ) में घंटी पर ओले की आवाज ( बहाना ) सुनकर Class से भाग खड़े होते हैं ।
बाहर ( संसार ) के ओले ( दुख ) खाने को तैयार हैं, उसमें राजी हैं ।
चिंतन
जिव्हा 4 अंगुल की होती है । पर 32 सिपाहियों (दातों) के पकड़ में भी नहीं आती है, हाथ से भी Slip हो जाती है, और तो और दूसरे 32 सिपाही ( नकली दांत ) भी लगालो तो भी पकड़ में नहीं आती है, ना कभी बूढ़ी होती है, हमेशा लाल और रसदार होती है । भोजन करते समय पेट तो इशारा देता है, पर जिव्हा मानती ही नहीं, जिव्हा की शल्य चिकित्सा भी नहीं होती, पर इसकी वजह से पेट की करानी पड़ती है ।
हम ईमानदार होते हुये भी इस क्षेत्र में बड़े बेईमान हैं ।
( इससे बहुत सावधान रहना )
क्या आप सुबह सुबह दुसरे का घर साफ करने जाते हो ?
यदि नहीं तो दुसरे के सुधारने में क्यों लगे रहते हो ।
श्री लालमणी भाई
पैरों में कांटे गढ़े, आंखो में फ़ूल, आंखे चली क्यों ?
( पैर में कांटे तभी लगते हैं जब आंखे बाहर की सुंदरता से आकर्षित हो असावधान हो जातीं हैं। )
असावधानी से अच्छे काम का Result भी अच्छा नहीं होता है ।
Q. – हर जगह भगवान हैं तो मंदिर की क्या जरुरत है ?
A. – हर जगह हवा है तो पंखे की क्या जरुरत है !
(श्री धर्मेंद्र)
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