Ritual = भगवान को मानना/ धार्मिक क्रियायें
Spiritual = भगवान की मानना/ धर्मात्मा

मुनि श्री प्रणम्यसागर जी

तुम अगर चाहते तो बहुत कुछ कर सकते थे,
बहुत दूर निकल सकते थे।
तुम ठहर गये, लाचार सरोवर की तरह;
तुम यदि नदिया बनते तो कभी समुद्र भी बन सकते थे।

मुनि श्री प्रणम्यसागर जी

बेहतर, छिनने पर विश्वास रखें;
(कि) बेहतरीन मिलने वाला है।

जिज्ञासा….पैसे छिन जाने पर क्या बेहतरीन मिलेगा ?… रविकांत
पूर्व में आपने किसी के पैसे छीने होंगे । कर्जा चुक जाना बेहतरीन हुआ न !

स्वभाव – देखना, जानना।
विभाव – बिगड़ना।
इसलिए कहा – देखो, जानो, बिगड़ो मत।

आचार्य श्री विद्यासागर जी

आज शक्तिहीन इसलिये क्योंकि कल जब शक्ति थी तब शक्ति को छुपाया/ उसका दुरुपयोग किया था।

निर्यापक मुनि श्री सुधासागर जी

(आज यदि शक्तिमान हो फिर भी शक्ति छुपायी/ दुरुपयोग किया तो कल को शक्तिहीन हो जाओगे)

गहरे समुद्र में सांस घुटने से मछलियां नहीं मरतीं पर ज़रा से दाने के लोभ में लाखों जाल में फंसकर जान गँवाती हैं।

निर्यापक मुनि श्री वीरसागर जी

सृष्टि अनमोल ख़जानों से भरी है पर एक भी चौकीदार नहीं है। व्यवस्था ऐसी की गयी है कि अरबों लोगों के आवागमन के बावजूद कोई एक तीली भी यहाँ से ले जा नहीं सकता।

(आतिफ़- कनाडा)

कर्मोदय ऐसा ही है जैसे बांबी से बाहर आया हुआ साँप।
यदि आप उसे सहजता से देखते रहे उसमें Involve नहीं हुये तो वह सहजता से निकल जायेगा।
आपको काटेगा नहीं/ ज़हर फैलेगा नहीं।

मुनि श्री सुधासागर जी

Archives

Archives
Recent Comments

April 8, 2022

March 2025
M T W T F S S
 12
3456789
10111213141516
17181920212223
24252627282930
31