आत्मा के अनुजीवी-गुण – आत्मा में ही/ उसमें ही जीवित रहने वाले हैं।
आत्मा का अस्तित्व उनसे ही जाना जाता है/ अनात्मा से फर्क इन्ही से/ आत्मा की स्वयं की सम्पत्ति।
मुनि श्री प्रणम्यसागर जी
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उपरोक्त कथन सत्य है कि आत्मा के अनुजीवी गुण,आत्मा में ही, उसमें ही जीवित रहने वाले हैं, इसलिए आत्मा का अस्तित्व उनसे ही जाना जाता है,यही आत्मा की स्वयं की सम्पत्ति होती है। अतः जीवन में आत्मा में अच्छे गुणों यानी कर्मों को इकट्ठा करना चाहिए ताकि जीवन के अगले भव में काम आ सकते हैं।
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उपरोक्त कथन सत्य है कि आत्मा के अनुजीवी गुण,आत्मा में ही, उसमें ही जीवित रहने वाले हैं, इसलिए आत्मा का अस्तित्व उनसे ही जाना जाता है,यही आत्मा की स्वयं की सम्पत्ति होती है। अतः जीवन में आत्मा में अच्छे गुणों यानी कर्मों को इकट्ठा करना चाहिए ताकि जीवन के अगले भव में काम आ सकते हैं।