अनंत तो बहुत स्थानों पर प्रयोग होता है पर उनमें भी छोटा-बड़ा घटित होता है। जैसे जीव अनंत, पर पुद्गल अनंतानंत, काल उससे भी बड़ा अनंत और आकाश सबसे बड़ा अनंत है।
मुनि श्री प्रणम्यसागर जी
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मुनि श्री प़णम्यसागर महाराज जी ने अनंतता को परिभाषित किया गया है वह पूर्ण सत्य है।
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मुनि श्री प़णम्यसागर महाराज जी ने अनंतता को परिभाषित किया गया है वह पूर्ण सत्य है।