पुण्य

वैभव और सफलता, मेहनत और ज्ञान से ही नहीं मिलती,
वरना मज़दूर और पंड़ितों के पास होतीं ।
इनके मिलने का मुख्य कारण है – पुण्य

मुनि श्री तरुणसागर जी

( ये अलग बात है कि आज का पुण्य, पिछ्ले पुरूषार्थ का ही फल है )

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