Category: अगला-कदम

ध्यान

1. एक विषय में निरंतर ज्ञान का रहना ध्यान है। 2. मन को विषयों से हटाने का पुरुषार्थ ध्यान है। 3. ध्यान लगाने का नाम

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आगम-ज्ञान

महावीर भगवान के बाद 3 केवली…. गौतमस्वामी, सुधर्मास्वामी व जम्बूस्वामी, इनका 62 साल का काल रहा। फिर 5 श्रुतकेवली…. विश्व, नन्दीमित्र, अपराजित, गोवर्धन तथा भद्रबाहू,

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भाव

पहले गुणस्थान में औदायिक भाव मुख्यता से, द्वितीय गुणस्थान में पारिमाणिक भाव मुख्यता से, तृतीय गुणस्थान में क्षायोपशमित भाव मुख्यता से, चतुर्थ गुणस्थान में औपशमिक,

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जीव की अवगाहना

जीव की जघन्य अवगाहना एक प्रदेश क्यों नहीं ? सबसे छोटा शरीर (सूक्ष्म निगोदिया लब्धपर्याप्तक का) लोक का असंख्यातवाँ भाग होता है। जीव की अवगाहना

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करण

मिथ्यात्व के 3 टुकड़ों के बारे में मुख्य और गौण विवक्षा से 2 मत कह सकते हैं। 1. करण ने किये हैं। 2. काललब्धि से

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हुंडासर्पिणी

हुंडावसर्पिणी में हरेक हजार वर्ष के बाद धर्म का Rising Trend भी आता है, जैसा आजकल देखने में आ रहा है। निर्यापक मुनि श्री वीरसागर

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संस्थान / केवलज्ञान

केवलज्ञान वामन (अन्य सारे संस्थानों के साथ भी) संस्थान के साथ भी हो सकता है तथा केवलज्ञान के बाद भी वही बना रहेगा क्योंकि इसका

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63 प्रकृतियों का नाश

क्षपक श्रेणी चढ़ते समय 60 प्रकृतियों का नाश हो जाता है पर 3 आयु (नरक, तिर्यंच, देव) का अस्तित्व चरम-शरीर के होता ही नहीं है।

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संहनन

मोक्ष की योग्यता, क्षपक-श्रेणी, क्षायिक सम्यग्दर्शन, क्षायिक चारित्र उत्तम-संहनन से ही प्राप्त होता है। (श्री धवला जी की 17वीं पुस्तक – सतकर्म पञ्चिका – अनुवाद

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मंगल आशीष

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