Category: अगला-कदम

स्वप्न

स्वप्न किस कर्म के उदय से आते हैं ? श्री कषायपाहुड़ के अनुसार – स्वप्न स्त्यानगृद्धि दर्शनावरण के उदय से आते हैं । क्योंकि सोते

Read More »

अवधिज्ञान

गुणप्रत्यय अवधिज्ञान में नाभि के ऊपर शरीर पर चिन्ह आ जाते हैं, वहीं के आत्म प्रदेशों के द्वारा होता है, जानते शरीर के पूरे प्रदेश हैं

Read More »

कर्मों में बटवारा

परनिंदा करने से नीच गोत्र में अनुभाग तीव्र बंधता है, बाकि 6 कर्मों में प्रदेश बंध की प्रमुखता होती है । ऐसे और कर्म प्रकृतियों

Read More »

सम्यग्दर्शन की पहचान

वो अवधिज्ञानि जो कार्मण वर्गणाओं को जानने की योग्यता रखते हैं तथा मन:पर्यय/केवलज्ञानी जान सकते हैं । वैसे कोई बाह्य चिन्ह प्रकट नहीं होते ।

Read More »

ज्ञान ही प्रमाण

“तत्प्रमाणे” तत्वार्थ सूत्र – 1/10 यानि ज्ञान ही प्रमाण है, इंद्रिय प्रमाण नहीं है । सूक्ष्म, दूर का, भूतकाल का इंद्रिय नहीं बता पाती हैं

Read More »

द्रव्य/गुण/पर्याय

द्रव्य शुद्ध, तो गुण शुद्ध, तभी पर्याय शुद्ध । पंचमकाल में आत्मा को सिर्फ शक्ति रूप ही शुद्ध कह सकते हैं । (जैसे सिपाही, एस.

Read More »

द्रव्येंद्रिय

निर्वृत्ति – रचना/बनावट आभ्यंतर – आत्मप्रदेश बाह्य – इंद्रियों का आकार/रचना उपकरण – निर्वृत्ति का उपकार करने वाली आभ्यंतर – जैसे नेत्रों का सफेद मंड़ल बाह्य

Read More »

भावेंद्रिय

लब्धि और उपयोग को भावेंद्रिय कहते हैं । ज्ञानावरण कर्म के क्षयोपशम को लब्धि कहते हैं । लब्धि के निमित्त से आत्मा के परिणमन को

Read More »

मंगल आशीष

Archives

Archives
Recent Comments

January 9, 2014

November 2024
M T W T F S S
 123
45678910
11121314151617
18192021222324
252627282930