Category: चिंतन
भक्ति
‘भ’ – भावना ‘ई’ – ईश्वर ‘त’ – तारतम्यता भावना पूर्वक ईश्वर से तारतम्यता
संस्कृति
पूर्व की संस्कृति : कम में संतुष्टि पश्चिम की संस्कृति : अधिक से असंतुष्टि चिंतन
कर्मफल
शरीर तो खेत है, मन, वचन, कायरूप जैसे बीज इसमें ड़ालोगे, वैसी ही फसल आयेगी । चिंतन
कर्मबंध
बाह्य शत्रुओं से युद्ध करने में कर्मबंध होता है, अंतरंग शत्रुओं से युद्ध करने में कर्म कटते हैं । चिंतन
राग
लाल रंग, राग का प्रतीक है खून का रंग भी लाल है । इसीलिये शायद सगे रिश्तों को खून का रिश्ता कहते हैं । चिंतन
भविष्यवाणी
गुरू लोग भविष्यवाणी करके प्राय: लोगों की अल्पायु के बारे में क्यों बताते थे ? 1. लोगों के पूछने पर ही बताते थे । 2.
पापोदय/पुण्योदय
पुण्योदय : साधूजन को कोई भी अपशब्द नहीं कहता. पापोदय + पुण्योदय : साधारणजन को कोई कोई अपशब्द कहता है, पापोदय : भिखारी को हर
सत्य
सब यही कहते हैं कि वे सत्य को पसंद करते हैं, पर असलियत यह है कि जिसे वे पसंद करते हैं, उसे ही वे सत्य
देशप्रेम
देशप्रेम के भाव न रखने से कर्मबंध क्यों ? जैसे माता-पिता, धर्म, गुरू का आप पर उपकार है, ऐसे ही देश का भी है ।
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