Category: चिंतन

पतझड़

इस मौसम में सब वृक्ष अपने पत्ते छोड़ते हैं। क्या उनको पुण्य मिलेगा ? नहीं, क्योंकि उनके पत्ते छोड़ने का कारण ममत्व कम करना नहीं

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समझना

जिसने अपनी कमज़ोरियों को समझ लिया, वह सँभल गया। जिसने अपने आपको (कुछ) समझ लिया, वह उलझ गया। चिंतन

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निमित्त

बेल को सहारा मिलने पर ऊँचाइयाँ पा लेती है पर उस निमित्त से उतरती नहीं है। सिर्फ मनुष्य ऐसा है जो निमित्त पाकर चढ़ता कम,

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सम्पर्क

एक दिन 3 दु:खद समाचार आये – 1. करीबी रिश्तेदार 2. वफ़ादार ड्राइवर 3. ड़ेढ़ माह से घर में पल रहा चिड़िया का बच्चा, नहीं

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जिसका फाला उसका गाना

51% से अधिक जिसकी ओर हो, गाने उसके ही गाने में समझदारी होगी न ! 51 से अधिक वर्षों की उम्र में, अगले जन्म/ भगवान

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ज़िंदगी

ज़िंदगी Musical Chair का खेल ही है – एक-एक करके कुर्सियाँ ख़त्म होती जाती हैं, एक-एक करके व्यक्तियों का खेल समाप्त होता जाता है। अंत

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संसार और संयम

“संसार” में – छोटे “स” से बड़ा “सा” बन जाता है यानि संसार बढ़ता ही जाता है। संयम यानि सं+यम – “स” से संयम/ सावधानी,

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अवस्था

युवावस्था में जो मांसपेशियाँ शक्त्ति देती हैं, वही वृद्धावस्था में बोझ बन जाती हैं/शक्त्ति क्षीण करती हैं। चिंतन

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उतावली

आप चाहे कितनी भी उतावली कर लो/ दौड़ लो, दुनियाँ अपनी गति से ही चलती रहेगी। हड़बड़ी में काम खराब तथा कर्म बंध भी ज्यादा

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कर्मोदय

पुण्यकर्म के उदय से युवावस्था में मांसपेशियाँ आदि शक्ति/ सुंदरता देती हैं। वे ही पुण्य कम होने से वृद्धावस्था में दर्द/ बदसूरती। चिंतन

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मंगल आशीष

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