Category: चिंतन
दुःख
दुःख में ज्यादा दुखी होंगे तो दु:ख ज्यादा होंगे। दुःख में कम दुखी होगे तो दु:ख कम होंगे। जैसे शरीर पर से साँप निकलना दुःख
भरोसा
गृहस्थ भरोसे वाला नहीं तो बुरा। साधु भरोसे वाले नहीं तो अच्छा/ पहुँचा हुआ (कब छोड़कर चल देंगे, पता नहीं)। चिंतन
नियम
आवश्यकताओं की तरह, नियम भी 3 प्रकार के…. (1) आवश्यक…. Minimum, इतने तो होने ही चाहिये। किसी भी हालात में छोड़ना नहीं। (2) आरामदायक…. आराम
सगा
जो अपने सगों की कमजोरियाँ जिनसे Share करे, वह सबसे ज्यादा सगा (फिर चाहे वह अपना Blood Relative हो या ना हो)। चिंतन
गृहस्थ / साधु
गृहस्थ और साधु में अंतर गृहस्थ परिस्थितियों को अपने अनुसार बदलने का प्रयास करता रहता है। परिस्थितियां नित नयी बदलती रहती हैं; सो उसके अनुरूप
पतझड़
इस मौसम में सब वृक्ष अपने पत्ते छोड़ते हैं। क्या उनको पुण्य मिलेगा ? नहीं, क्योंकि उनके पत्ते छोड़ने का कारण ममत्व कम करना नहीं
समझना
जिसने अपनी कमज़ोरियों को समझ लिया, वह सँभल गया। जिसने अपने आपको (कुछ) समझ लिया, वह उलझ गया। चिंतन
निमित्त
बेल को सहारा मिलने पर ऊँचाइयाँ पा लेती है पर उस निमित्त से उतरती नहीं है। सिर्फ मनुष्य ऐसा है जो निमित्त पाकर चढ़ता कम,
सम्पर्क
एक दिन 3 दु:खद समाचार आये – 1. करीबी रिश्तेदार 2. वफ़ादार ड्राइवर 3. ड़ेढ़ माह से घर में पल रहा चिड़िया का बच्चा, नहीं
जिसका फाला उसका गाना
51% से अधिक जिसकी ओर हो, गाने उसके ही गाने में समझदारी होगी न ! 51 से अधिक वर्षों की उम्र में, अगले जन्म/ भगवान
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