Category: डायरी

प्रकृति

प्रकृति हमारे शरीर की रक्षा करती है… वर्षाकाल में पित्त पैरों में आ जाता है, जल से रक्षा होती है। सर्दी में छाती में क्योंकि

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गुरु

एक गुरु ने अपने शिष्य को लाठी चलाने की शिक्षा पूर्ण कर दी। शिष्य माहिर भी हो गया पर उसे गुमान आ गया कि वह

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मैं क्या हूँ ?

अच्छा वक्त दुनिया को बताता है कि मैं क्या हूँ, बुरे वक्त में दुनिया बताती है कि मैं क्या हूँ। आर्यिका श्री पूर्णमति माता जी

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सुख

शैतान बच्चे ने तीन बकरियों पर एक, दो और चार नम्बर डाल कर स्कूल में घुसा दिया। सब लोग बकरियों को पकड़ने लगे। तीन बकरियाँ

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दु:ख

“सुख रत्ती भर भी कम न हो, दु:ख पल भर भी टिके नहीं।” ऐसी चाहना ही सबसे बड़ा दु:ख है। साधु दु:ख स्वीकारते हैं इसलिए

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मंदिर

मन को मंदिर कैसे बनाएँ ? जिस मन में हर समय प्रभु का नाम स्मरण हो, वह मन प्रभु का मंदिर बन गया न !

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फूल

चार प्रकार के फूल होते हैं… 1) सुंदर और *खुशबूदार । 2) सुंदर पर खुशबू नहीं । 3) सुंदर तो नहीं पर खुशबूदार । 4)

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राग-द्वेष

राग —> न रहे* तो रहा न जाए। द्वेष —> रहे** तो रहा न जाए। सारे युद्ध राग की वजह से ही हुए हैं। रावण

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मंगल आशीष

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