Category: डायरी

डर

डर एक में नहीं, अनेक से होता है। विडंबना, हम एक से अनेक होने के लिए भारी पुरुषार्थ करते रहते हैं। आर्यिका पूर्णमति माता जी

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सीमा

डॉक्टर का ऑपरेशन तो सफल हुआ, पर मरीज़ मर गया। हम हर चीज सीमा में चाहते हैं, जैसे बाल, नाखून, कपड़े, पर संपत्ति की कोई

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हार

जिसने हार पहनने में अपना सम्मान मान लिया मानो उसकी आत्मा हार गई। आर्यिका पूर्णमति माता जी (2 अक्टूबर)

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सात्विकता / व्यवहार

एक व्यक्ति जलेबी की दुकान पर एक किलो जलेबी खा गया। पैसे ? नहीं हैं। मालिक ने पिटाई कर दी। यदि जलेबी इस भाव खाने

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शब्द

अलफ़ाज़ का भी जायका होता है। परोसने से पहले चख लिया करें। (अरविंद बड़जात्या)

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धर्म से दूरी

WHO के अनुसार कोविड के पहले भी मानसिक अस्वस्थता 14% लोगों में पायी जाती थी। धार्मिक लोगों में यह Rare होती है। कारण ? धर्म

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पुरुषार्थ

जीवन बहुआयामी है सो पुरुषार्थ भी। रचनात्मक जैसे माता पिता का बच्चों के लिये। गैर-रचनात्मक बच्चों का माता पिता के लिये। हमारे पुरुषार्थ में कितने

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समय का सदुपयोग

एक सेठ के दो बेटे थे छोटा बेटा समय बर्बाद करता रहता था। बड़ा बेटा कर्म और धर्म में पुरुषार्थ करता था। एक बार छोटे

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दिशा निर्देश

ब्रह्मचारी बसंता भैया श्री दीपचंद वर्णी जी से तीर्थयात्रा जाते समय, दिशा निर्देश मांगने गये। 3 रत्न हमेशा पास रखना – क्षमा, विनय, सरलता तथा

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जीवन / मरण

जीवन मरण सिक्के के दो पहलू हैं। एक जितना बड़ा/ मूल्यवान होगा, दूसरा भी उतना ही (जैसे साधुजन/ भगवान का)। “सौफी का संसार” (जॉस्टिन गार्डर)

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मंगल आशीष

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