Category: डायरी

शांति

मरण के समय प्राय: कहा जाता है “दिवंगत आत्मा को शांति मिले”। इसका क्या अर्थ हुआ ? … उनके जीवन में पहले वैभव आदि सब

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दान आदि

दान…..जो श्रद्धा के साथ आंशिक रूप से दिया जाता है। त्याग… तेरा तुझको अर्पण यानी कर्म का कर्म को* कर्म से मुक्ति** पाने के लिए।

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दुनिया

दुनिया उसको कहते भैया जो माटी का खिलौना* है, मिल जाए तो माटी** भैया, ना मिले तो सोना*** है। आर्यिका श्री पूर्णमति माता जी(29 अक्टूबर)

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भक्ति

भक्ति में चारों दान –> मानसिक पुष्टि (औषधि दान), तालियों से शरीर पुष्ट (आहार), परम्परा निभाई (अभय), विनती आदि (ज्ञान दान)। ब्र. डॉ. नीलेश भैया

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व्यक्त / अभिव्यक्त

प्रश्न यह नहीं कि आपके पास शक्ति, सामग्री, संपत्ति कितनी है ! प्रश्न है कि व्यक्ति कैसा है!! क्योंकि यह तीनों तो अधम को भी

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Thinker

The Thinker* sees the invisible, feels the intangible**, and achieves the impossible. (J.L.Jain) (*जैसे भगवान/ Omniscient observer)। (**जो स्पर्श से जाना न जा सके/ जिसमें

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शिक्षा

शिष्य की शिक्षा पूर्ण होने पर गुरु ने तीन चीज़ें शिष्य को दीं… 1) दीपक… जो खुद जलता है/ दूसरों को प्रकाश देता है पर

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त्याग

किसी का लोटा आपके पास आने तथा मालिक के द्वारा पहचाने जाने पर लोटा लौटाना त्याग नहीं है। गरीब को लोटा देना त्याग है। क्योंकि

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धर्म / धन

कठिन क्या है धर्म करना या धन कमाना ? प्राय: उत्तर मिलता है… धर्म करना कठिन है। पर कभी सोचा ! धन कमाने में कितना

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हार / जीत

ब्रह्म समाज के संस्थापक श्री रामकृष्ण परमहंस से चिढ़ते थे। एक दिन बोले –> मैं तुम्हें हराने आया हूँ। श्री रामकृष्ण लेटकर बोले –> लो

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मंगल आशीष

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November 18, 2024

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