Category: डायरी
सोच
विचार ऐसे रखो कि तुम्हारे विचारों पर भी विचार करना पड़े। समुद्र जैसे बड़े बनने से क्या, तालाब जैसे छोटे बनो जहाँ शेर भी पानी
कर्म
यहाँ न बादशाह चलता है, ना ही इक्का चलता है। खेल है कर्मों का, यहाँ कर्मों का सिक्का चलता है। (रेनू-नयाबाजार)
बदनाम
एक बुजुर्ग को गाली देने की आदत थी। इसी अवगुण से वे जाने जाते थे। उनके बच्चों को चिंता हुई। पिता की बदनामी को मिटाने
स्वयं
संसार में सबसे ज्यादा चर्चा किसकी सुनने का मन होता है? स्वयं की। तो उस शख्स से मिलने का मन नहीं करता ? कभी उससे
अमरता
अमरता…. दैहिक… दीर्घ आयु, अमृत चखने से देव जैविक… पुत्र, प्रपोत्र से नामिक… जिनका नाम चलता रहता है वैचारिक.. जैसे गांधीवाद, बहुत मूल्यवान सात्विक.. सात्विकता
नाम
रूपक… भगवान महावीर अस्थि-गाँव (हत्यारे लोगों का) में जा कर ध्यान मग्न हो गये। लोगों के अपशब्दों से विचलित न होने पर उनसे कहा…इतना मारेंगे
बिंदु / सिंधु
छोटा हुआ तो क्या हुआ जैसे आँसू एक, सागर जैसा स्वाद है; तू भी चख कर देख। बिंदु की श्रद्धा ही, सिंधु की श्रद्धा है।
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