Category: डायरी

सत्य

घड़ी बंद करने से घड़ी तो बंद हो सकती है, पर समय नहीं; झूठ छिपाने से झूठ तो छुप सकता है, पर सत्य नहीं ।

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माता / पिता

माँ सोचती है… बेटा आज भूखा ना रहे, पिता सोचता है कि बेटा कल भूखा ना रहे । बस यही दो सम्बन्ध ऐसे हैं संसार

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ज़रूरत

संसार ज़रूरत के नियम पर चलता है… सर्दियों में जिस सूरज का इंतज़ार होता है, उसी सूरज का गर्मियों में तिरस्कार भी होता है ।

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भाग्य / पुरुषार्थ

यूँ ही नहीं होतीं हाथों की लकीरों के आगे उँगलियाँ…! रब ने भी किस्मत से पहले मेहनत लिखी है…!! (सुरेश)

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शास्त्र / गुरु

शास्त्र मित्रवत पर गुरु शत्रुवत व्यवहार करते दिखते हैं । मुनि श्री सुधासागर जी

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धीरज

सफलता की ऊंचाई पर हो तो धीरज ज़रुर रखना चाहिये, क्योंकि… पक्षी भी जानते हैं , कि आकाश में बैठने की जगह नहीं होती। (दिव्या)

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सफ़र

असल में वही जीवन की चाल समझता है… जो सफ़र में आयी धूल को गुलाल समझता है । (अनुपम चौधरी)

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प्रेम

🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁 “चाबी” से खुला “ताला” बार बार “काम” में आता है, और “हथौड़े” से “खुलने” पर दुबारा काम का नहीं रहता । इसी तरह “संबन्धों”

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नियम

घड़ी की सुईयाँ अपने नियम से चलती हैं, इसलिए लोग घड़ी पर विश्वास करते हैं । आप भी नियम से चलोगे तो, लोग आप पर

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पवित्रता

शरीर कभी भी पूरा पवित्र नहीं हो सकता, फिर भी सभी इसकी पवित्रता की कोशिश करते रहते हैं ! मन पवित्र हो सकता है, मगर

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मंगल आशीष

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