Category: डायरी

चंदन / केशर

ललाट पर टीका चंदन का ही लगाना चाहिये केशर का नहीं, क्योंकि चंदन ठंडी होती है और केशर गर्म ।

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पुरुषार्थ

पढ़ाते समय शिक्षक* सबको एक सा पढ़ाता है पर परीक्षा में कोई पास तो कोई फ़ेल होता है, इसके लिये शिक्षक को दोषी** नहीं कह

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सुख की चाह

सुख की चाहना में कोई बुराई नहीं है, पर दु:ख की राह पर चलते हुये, सुख की चाह में विसंगति है । ऐसे सुख की

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क्रोध

यह परिवार के साथ ही आता है – क्रोध की माँ है – कुमति पत्नि – घ्रणा बहनें – ईर्षा और चुगली भाई – कपट

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पताका

पताका – जो पता बताये (मंदिर/घर का) । घरों में भी लगायें ताकि अला-बला टलती रहे ।

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विसर्ग

विसर्ग विसर्जन से बना है यानि रुकना जैसे दु:ख (जीवन की गति को रोकता है) । आशुतोष भय्या

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मंगल आशीष

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