Category: वचनामृत – अन्य

Ritual / Spiritual

Ritual → भगवान को मानना/ धार्मिक क्रियाएँ करना। Spiritual → भगवान की मानना/ धर्मात्मा। मुनि श्री प्रमाणसागर जी

Read More »

पुरुषार्थ

तुम अगर चाहते तो बहुत कुछ कर सकते थे/ बहुत दूर निकल सकते थे। तुम ठहर गये, लाचार सरोवर की तरह; तुम यदि नदिया बनते

Read More »

धर्मात्मा

धर्मात्मा पुण्यहीन …. पुजारी, पूरा जीवन गरीबी के साथ धार्मिक क्रियाएँ करता रहता है। धर्मात्मा पुण्यवान …. आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज। मुनि श्री प्रमाणसागर

Read More »

दिखावे का धर्म

दिखावे के धर्म में पुण्य/ लाभ कम, पर दूसरों पर धर्म की प्रभावना पूरी। निर्यापक मुनि श्री सुधासागर जी

Read More »

प्रतिक्रिया

प्रतिक्रिया वहाँ जरूर दें जहाँ सुलझने की संभावना हो। जहाँ उलझने की संभावना हो, वहाँ शांत। मुनि श्री प्रमाणसागर जी

Read More »

धर्म

धर्म संसार की चकाचौंध से दूर तो नहीं कर सकता। पर धर्मरूपी (धूप का) चश्मा लगाने से आँखें खराब नहीं होंगी। निर्यापक मुनि श्री सुधासागर

Read More »

धर्मध्यान

गृहस्थ हर समय धर्मध्यान करे तो गृहस्थी नष्ट (जैसे साधु की)। धर्मध्यान न करे तो गृहस्थी भ्रष्ट। निर्यापक मुनि श्री सुधासागर जी

Read More »

पुण्य / पाप

हिंसा/ झूठादि पाप हैं तो अहिंसा/ सत्यादि पुण्य क्यों नहीं ? अहिंसादि व्रत हैं जो पुण्य से बहुत बड़े/ ऊपर हैं। मुनि श्री प्रमाणसागर जी

Read More »

आलस्य

आलस्य (प्रमाद) भीति तथा प्रीति से ही कम होता है। भीति – आलसी को बोल दो साँप आ गया, तब आलस्य रहेगा ! प्रीति –

Read More »

ऊँचाई

ऊँचाई पाने के लिये गहराई में जाना जरूरी है, तो गहराई कैसे पायें ? बीज अपने आपको मिटा कर ही गहराई (जड़) तथा ऊँचाई प्राप्त

Read More »

मंगल आशीष

Archives

Archives

September 11, 2023

November 2024
M T W T F S S
 123
45678910
11121314151617
18192021222324
252627282930