Category: वचनामृत – अन्य
संगठन
टेकड़ी गांव के एक परिवार में 58 सदस्यों में एक चूल्हा। संगठन का रहस्य जानने एक पत्रकार घर के बड़े सदस्य के पास पहुँचा तो
स्वाभिमान / अभिमान
स्वाभिमान…. पद की गरिमा बचाये रखने की सावधानी। अभिमान…… मान की चाहना। मुनि श्री प्रमाणसागर जी
प्रसिद्धि
प्रसिद्धि और विवाद एक दूसरे के पूरक हैं। मुनि श्री सौम्यसागर जी
उत्तम क्षमा
जो जितना सामर्थ्यवान होगा वह उतना क्षमावान भी होगा। जो जितना क्रोध करेगा वह उतना ही कमजोर होगा। कागज़ की किश्ती कुछ देर लहरों से
दान
सीखे कहाँ नबाब जू , ऐसी देनी देन; ज्यों ज्यों कर ऊँचौ कियो, त्यों त्यों नीचे नैन ? रहीम खान खाना… देनहार कोई और है,
याचना / प्रार्थना
याचना…. संकट/दु:ख दूर कर दो। प्रार्थना…. संकट/दु:ख में स्थिरता रख सकूँ, ऐसी शक्त्ति दो। मुनि श्री प्रमाणसागर जी
थकान
गुरु जी! आप थकते नहीं हैैं ? गुरु…. थमा हुआ थकता नहीं, थमे को तो काम करने से ऊर्जा आती है। भागने वाले को भी थमने
जिज्ञासा / शंका
जिज्ञासा – दाल में नमक है या नहीं ? शंका – दाल में ज़हर तो नहीं डाला ? मुनि श्री प्रमाणसागर जी
दान
अमरकंटक प्रवास के दौरान एक युवक भारी घाटा होने से आत्मघात करने जा रहा था। उसे आचार्य श्री विद्यासागर जी से संबोधन दिलवाया – आचार्य
कान का कच्चा
कान का कच्चा कहावत कैसे बनी ? वह कान का कच्चा जो यह कहने पर कि तेरा कान कौवा ले गया, वह कौवे को पहकड़ने
Recent Comments