Category: वचनामृत – अन्य

थकान

गुरु जी! आप थकते नहीं हैैं ? गुरु…. थमा हुआ थकता नहीं, थमे को तो काम करने से ऊर्जा आती है। भागने वाले को भी थमने

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जिज्ञासा / शंका

जिज्ञासा – दाल में नमक है या नहीं ? शंका – दाल में ज़हर तो नहीं डाला ? मुनि श्री प्रमाणसागर जी

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दान

अमरकंटक प्रवास के दौरान एक युवक भारी घाटा होने से आत्मघात करने जा रहा था। उसे आचार्य श्री विद्यासागर जी से संबोधन दिलवाया – आचार्य

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कान का कच्चा

कान का कच्चा कहावत कैसे बनी ? वह कान का कच्चा जो यह कहने पर कि तेरा कान कौवा ले गया, वह कौवे को पहकड़ने

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शब्द

शब्दों की कीमत नहीं होती, पर उनके सही/ग़लत प्रयोग से आपकी कीमत बढ़/घट जाती है। मुनि श्री प्रमाणसागर जी

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ऊब

ऊब से बचने के उपाय…. 1. रुचि पैदा करें 2. स्वीकारें 3. संकल्प पूरा करें 4. लक्ष्य के प्रति आदर भाव रखें ऊबना है तो

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पूजादि

पूजा – अष्टद्रव्य (पूजा सामग्री) से भक्त्ति प्रकट करना। आराधना – पूजा + अतिरिक्त आलम्बन से गुणों का ध्यान। प्रार्थना – हृदय के उद्गार प्रकट

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श्रम

क्रम – ‘क’, ‘ख’, ‘ग’, ‘घ’। पहले ‘क’ = कर्म, फिर ‘ख’ = खाना, ‘ग’ = गाना, ‘घ’ = घंटा, जीवन झंकृत हो जायेगा। पर

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कर्मोदय / पुरुषार्थ

कर्मोदय सताता/भटकाता नहीं कुछ समय के लिये अटका सकता है। कर्मोदय में पुरुषार्थ की कमी/रागद्वेष करने से भटकन/दु:ख होता है। मुनि श्री प्रमाणसागर जी

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काल का महत्त्व

हनुमान जब सीता को ढूँढ़ने लंका जा रहे थे तब उन्होंने पूछा – लंका को पहचानूँगा कैसे ? जहाँ लोग सूर्योदय के बाद भी सोते

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मंगल आशीष

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