Category: वचनामृत – अन्य

ऊब

Routine काम करते-करते उनको ऊब नहीं आती जो अपने काम में डूब जाते हैं। डूब कर काम करने से नये-नये उत्साह का संचार होता है/नये-नये

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निंदा

जब निंदा करना ग़लत है, तो स्वयं की निंदा करने को क्यों कहा ? ताकि मद न आये, साथ-साथ अपनी प्रशंसा पर भी रोक ज़रूरी;

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कंजूस / मितव्ययी

कंजूस अनुपयोगी, फिजूलखर्ची दुरुपयोगी, मितव्ययी सदुपयोगी। उदारता तब आयेगी, जब आपकी आसक्त्ति कम होगी। आसक्त्ति कम तब होगी, जब आप सम्पत्ति/ जीवन की नश्वरता को

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उत्तेजना

क्रोध, मान, माया, लोभ तथा काम-वासना की भी उत्तेजना होतीं हैं। उत्तेजना = कषाय आदि का तीव्र रूप, जिसमें कुछ भी करने को तैयार, मरने-मारने

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कृतज्ञ्नी

सूअर नीचे गिरे फल ही नहीं खाता उस पेड़ की जड़ भी खा जाता है और ऊपर सिर उठाकर देखता भी नहीं है, गर्दन ही

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भोजन

साधु और शेर भोजन करके शांत, गृहस्थ और हाथी को जितना मिष्ठान/माल उतना उदंड। डॉक्टर भी मोटापा कम कराने के लिये मीठा बंद कराते हैं।

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करुणा

व्यक्ति दु:खी तो अपने कर्मों से होता है, फिर उस पर करुणा क्यों और कैसे आ सकती है ? प्रथम दृष्टि से कर्म फल पर

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प्रवृत्ति

राजा ने (निमित्त) ज्ञानी से पूछा – मेरा कुल कैसा है ? कुलीन नहीं है। पता लगाया गया, राजा एक चरवाहे का बेटा था, जो

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ऊब

ऊब – दो प्रकार की – 1. नकारात्मक – आलसी प्रवृत्ति वालों में 2. सकारात्मक – क्रियाशील/परिवर्तन को महत्त्व देने वाले की मुनि श्री प्रमाणसागर

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मर्यादा

जब कोई मर्यादा (औकात) से ज्यादा बातें करने लगे/परछायीं कद से ज्यादा बड़ी हो जाये तब जान लो – सूरज ड़ूबने वाला है। मुनि श्री

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मंगल आशीष

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