Category: वचनामृत – अन्य

उत्तेजना

क्रोध, मान, माया, लोभ तथा काम-वासना की भी उत्तेजना होतीं हैं। उत्तेजना = कषाय आदि का तीव्र रूप, जिसमें कुछ भी करने को तैयार, मरने-मारने

Read More »

कृतज्ञ्नी

सूअर नीचे गिरे फल ही नहीं खाता उस पेड़ की जड़ भी खा जाता है और ऊपर सिर उठाकर देखता भी नहीं है, गर्दन ही

Read More »

भोजन

साधु और शेर भोजन करके शांत, गृहस्थ और हाथी को जितना मिष्ठान/माल उतना उदंड। डॉक्टर भी मोटापा कम कराने के लिये मीठा बंद कराते हैं।

Read More »

करुणा

व्यक्ति दु:खी तो अपने कर्मों से होता है, फिर उस पर करुणा क्यों और कैसे आ सकती है ? प्रथम दृष्टि से कर्म फल पर

Read More »

प्रवृत्ति

राजा ने (निमित्त) ज्ञानी से पूछा – मेरा कुल कैसा है ? कुलीन नहीं है। पता लगाया गया, राजा एक चरवाहे का बेटा था, जो

Read More »

ऊब

ऊब – दो प्रकार की – 1. नकारात्मक – आलसी प्रवृत्ति वालों में 2. सकारात्मक – क्रियाशील/परिवर्तन को महत्त्व देने वाले की मुनि श्री प्रमाणसागर

Read More »

मर्यादा

जब कोई मर्यादा (औकात) से ज्यादा बातें करने लगे/परछायीं कद से ज्यादा बड़ी हो जाये तब जान लो – सूरज ड़ूबने वाला है। मुनि श्री

Read More »

धन / पाप / दान

धन तो सबने मिलकर भोगा, समाप्त कर लिया। बचा क्या ? धन कमाने में कमाया पाप, यह हमें अकेले ही भोगना होगा। इसका कुछ अंशों

Read More »

मलद्वार

नौ मलद्वारों में से, 2 One way हैं, 2 पर Natural Filters लगे हैं(आँखें), बाकी 5 Direct Highway (मुंह, नाक*, कान) हैं, इसलिये इन 5

Read More »

दु:ख

अपने और अपनों के दु:ख क्यों ? मोह अज्ञान से। कैसे ? ख़ुद और सबको शरीर माना, आत्मा को नहीं। बचने का उपाय ? वैराग्य

Read More »

मंगल आशीष

Archives

Archives

July 6, 2022

January 2025
M T W T F S S
 12345
6789101112
13141516171819
20212223242526
2728293031