Category: वचनामृत – अन्य
अच्छा / बुरा
अच्छा वह जो बुराई छोड़ने के प्रयास में लगा है। अच्छा बनने के लिये पहले बुरों/बुराइयों से दूर रहना होगा। साफ कपड़े वाला गंदे कपड़ों
विवेक
Call Centre में सामने वाली Party कैसा भी व्यवहार करे, Call Centre वाले पूरी नम्रता/शांति से व्यवहार करते रहते हैं। कारण ? उन्हें मालुम है
पाप का प्रक्षालन
कलकत्ता का बेलगछिया का भव्य जैन मंदिर 26-27 बीघा के उपवन के बीच, शहर के मध्य स्थित है। बनवाने वाले सेठ हुलासीराम बड़े अय्याश थे।
आराधना
आराधना क्यों ? मन और गृह शांति के लिये । तो शांति मिली क्यों नहीं ? क्योंकि अभी तक आराधना के उद्देश्य रहे – 1.
जाति
प्रकृति ने तो मनुष्य की एक ही जाति बनायी है – “मनुष्य” (जैसे एकेन्द्रिय…पंचेन्द्रिय जीव) । मनुष्य ने उसमें कर्मों के अनुसार भेद कर दिये।
दान
स्व-धन/वस्तु का त्याग, जिससे “स्व”, “पर” का उपकार हो; “स्व” का उपकार ? अपनी आत्मा का उपकार। कैसे होगा ? जिनालय, जिनवाणी, जिन गुरु* के
दान के भाव
1. धर्म के पात्र…………… आत्म विशुद्धि के निमित्त 2. दया/सहायता के पात्र… पुण्य अर्जन के निमित्त मुनि श्री प्रमाणसागर जी
बदलाव
युवा ट्रेन में रो रहा था। कारण ? गलत ट्रेन में बैठ गया था। ट्रेन बदल क्यों नहीं लेता ? क्योंकि इस ट्रेन में सीट
संसार / परमार्थ
जब तक संसार में हो – भोगो मत पर भागो भी मत, भाग लो – Adjust करके। जो संसार में Adjust नहीं कर पाते, वे
सत्य
वैसे तो सत्य अखंड है पर व्यवहार चलाने में खंडित हो जाता है जैसे सत्य यह है कि रोटी पूर्ण होती है पर माँ खंडित
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