Category: वचनामृत – अन्य
शिक्षा
सांसारिकता में गुणा-भाग, पारिमार्थिकता में गुणात्मक प्रगति, सांसारिकता में त्रिकोण/षटकोण, पारिमार्थिकता में दृष्टिकोण विषय रहता है । मुनि श्री प्रमाण सागर जी
शब्द
शब्द पंगु हैं, पंगु कैसे ? पिता शब्द कहते ही, उस व्यक्ति के अन्य रिश्ते गौण हो जाते हैं न ! मुनि श्री सुधासागर जी
खंडित मूर्ति
मंदिर परिसर में खंडित मूर्तियाँ नहीं रखनी चाहिये । उन्हें संग्रहलयों में रख देना चाहिये । मुनि श्री सुधासागर जी
अवनति
अच्छी अच्छी नस्लें समाप्त हो रहीं हैं, पर नये नये वायरस पैदा हो रहे हैं । यह दर्शाता है कि हम अवनति की ओर अग्रसर
लेन-देन
अति उपकारी फलदार वृक्ष को भी पहले खाद पानी/सेवा करने पर ही उनसे फल प्राप्त होते हैं । मुनि श्री सुधासागर जी
दान
धन और समय का ही दान नहीं होता बल्कि पांचों इन्द्रिय के विषयों का भी होता है, जैसे 1 घंटे को सिर्फ भगवान को ही
मायाचार / श्रद्धा
गुरु की सुनते हैं, मानते नहीं हैं तो क्या यह मायाचारी है ? नहीं लाचारी है । साधारण शिष्य श्रद्धालु होते हैं, अनुयायी नहीं ।
उत्तराधिकारी
लड़कियों को आगमानुसार पिता की सम्पत्ति पर बराबर का अधिकार होता है । मुनि श्री प्रमाणसागर जी
घमंड
हर छत, ऊपर मंज़िल बनने पर फर्श बन जाती है । छत को घमंड ना आये, ऐसा क्या करें ? यश-बड़वानी हर उपलब्धि को छत
संकल्प / विकल्प
खेती का संकल्प लेते ही विकल्प शुरू हो जाते हैं, याने खतपतवार पहले तथा साथ-साथ उगता रहता है । किसान को समय-समय पर साफ सफाई
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