Category: वचनामृत – अन्य

जैन दर्शन

अन्य दर्शनों की तरह, जैन दर्शन का एक शास्त्र क्यों नहीं ? अन्य दर्शनों में भगवान अकेला कर्ता होता है, जैन दर्शन में हर जीव

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मान

मान इतना बुरा नहीं है, जितना दूसरों का अपमान करना । दूसरों का सम्मान न करें चलेगा, अपने सम्मान की आकांक्षा ना रखें । मुनि

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धार्मिक-क्रियायें

शरीर पर मैल लगने पर मक्खियाँ भिनकने लगती हैं, मैल साफ करने पर ही हटती हैं । विकार रूपी मैल आत्मा पर लगने पर समाज

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उलझन

उलझन सुलझाने का सरल उपाय – उलझन में “साता” का “स” लगा लो, उलझन “सुलझन” बन जायेगी । मुनि श्री प्रमाणसागर जी

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धार्मिक क्रियायें

वृक्ष लगाना अच्छा है (धार्मिक क्रियायें), पर उसकी छाया लेना (शांति/सुकून), फल खाना (आत्मोन्नति), संतति बढ़ाना (प्रभावना), और भी अच्छा । आचार्य श्री वसुनंदी जी

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पुण्य

पुराने पुण्यों से खटिया मिलती है, नये पुण्य कमाने के लिये खटिया खड़ी करनी होती है । मुनि श्री अविचलसागर जी

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सरल बनना

सरल बनने के दो तरीके हैं – 1. माला जपें – मुझे सरल बनना है । 2. आसपास के लोगों को भी यही बता दें

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धन / धर्म

धन और धर्म की एक ही राशि होती है । धन फल है, धर्म जड़ है । मुनि श्री सुधासागर जी

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उपयोग

लोहे पर जंग ना लगने देने का उपाय – उपयोग जैसे हथौड़ा/चाकू/रेलपटरी/सुई यदि उपयोग में न आयें तो उन पर जंग लग जाती है ।

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कामना / प्रार्थना

कामना में इच्छा/आग्रह है, पूरी ना होने पर दल बदलते रहते हैं; प्रार्थना में ना इच्छा है, न उसके पूर्ण होने का भाव और ना

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मंगल आशीष

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