Category: वचनामृत – अन्य
सच्चा आनंद
अभाव में भी सद्भाव जैसा आनंद ही सच्चा है । मुनि श्री विनिश्चयसागर जी
गिरना
यदि डूबते हुये को बचाने के लिये एक सीढ़ी नीचे उतरना पड़े तो उतरने में पाप नहीं लगेगा । (पर बचाने की प्रक्रिया में सीढ़ी
निमित्त / उपादान
निमित्त माचिस की जलती हुई तीली है, इससे अपने ज्ञान का दीपक जल्दी जलाओ, क्योंकि तीली तो थोड़ी देर तक ही जलती है । मुनि
बीजाक्षर
बीजाक्षर के अर्थ इसलिये नहीं मिलते क्योंकि अलग अलग अपेक्षाओं से इनके अलग अलग/बहुत से अर्थ होते हैं । मुनि श्री सुधासागर जी
भेड़चाल
ढ़ोल बजते ही नाचना न शुरू कर दें, यह तो देख लें कि ढ़ोल जन्म की खुशी के हैं या मातम के ! मुनि श्री
वैराग्य
शमशान जाने पर वैराग्य भाव प्राय: सभी के आते हैं, पर टिकते इसलिये नहीं क्योंकि वैराग्य का भाव-रूपी-बीज हम बंजर भूमि(धर्म-रूपी-आद्रता का अभाव) में डालते
दुर्जन
दुर्जन वह नहीं जो बुरे काम करे, बल्कि वह जो समझाने पर समझे नहीं । मुनि श्री सुधासागर जी
दया / कृपा
गुरु शिष्यों पर/ डॉक्टर मरीज़ों पर दया नहीं, कृपा करते हैं । मुनि श्री विनिश्चयसागर जी
कार्यसिद्धी
श्रावक के धन और तन रूपी दीपक में जब गुरु के मन और वचन रूपी घी और बाती आ जाती है, तब प्रकाश होता है/सामाजिक
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