Category: वचनामृत – अन्य

भगवान के जन्म

भगवान पापियों का नाश करने नहीं, पुण्यात्माओं का उद्धार करने जन्मते हैं, जैसे जमीन में पानी ढ़ूंढ़ने के लिये नारियल का प्रयोग किया जाता है

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पूजा में स्थापना

बैठकर पूजा करने वालों को ठौने में स्थापना बैठकर ही करना चाहिये, वरना स्थापित द्रव्य नाभि से नीचे हो जायेगा । मुनि श्री सुधासागर जी

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पुण्य

पुण्य की ज़रूरत तब तक, जब तक हमसे पाप हो रहा है । कीचड़ पाप है, इसे साफ करने पुण्य रूपी जल चाहिये, बिना पानी

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मुनि

आदिनाथ भगवान के समय से लेकर पंचम काल के अंत तक तीनों प्रकार के मुनि थे, हैं और रहेंगे । भाव/द्रव्य/भ्रष्ट लिंगी । मुनि श्री

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पीछी

श्रावकों को पीछी का उपयोग नहीं करना चाहिये क्योंकि यह मुनियों का उपकरण है । मुनि श्री प्रमाणसागर जी

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योग / उपयोग

योग से शरीर और मन नियंत्रित, उपयोग से चेतना । मुनि श्री सुधासागर जी

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363 मत

इतने मत हुंडावसर्पिणी के प्रभाव से होते हैं। मुनि श्री सुधासागर जी

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नियति

भरत को सब ओर से दबाब ड़ाला गया कि वे अयोध्या की गद्दी पर बैठें – माँ, गुरू, राम सबने । भरत – मेरे भाग्य

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त्रस

पंचास्तिकाय में वायु/अग्निकायिक को त्रस, उनकी स्वगति की अपेक्षा कहा है । मुनि श्री सुधासागर जी

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मंगल आशीष

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