Category: वचनामृत – अन्य

काला धन

धन ना काला होता है ना ही सफेद ! धनवान और उसका मन काला/सफेद होता है । और काले को सफेद करने का उपाय वही

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पूर्ण उपासना

सुबह सबके कल्याण की प्रार्थना करें मंदिर में भगवान के गुणों का गुणगान रात्रि में आत्मचिंतन आर्यिका श्री पूर्णमति माताजी

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सुखकारी / हितकारी

सुख तात्कालिक होता है । हित कागज़ों में लगे पिन जैसा होता है जो जोड़कर तो रखता है पर चुभता भी है । क्यों ना

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ज्ञान और धर्म

ज्ञान पूर्ण नहीं तो धर्म को भी अपूर्ण मानें ? ज्ञान अभिव्यक्ति है इसलिये अपूर्ण, धर्म अनुभूति है इसलिये पूर्ण । मुनि श्री प्रमाणसागर जी

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वृद्धावस्था

वृद्धावस्था में अशक्ति के साथ-साथ(ज्यादातर) आसक्ति भी हो जाती है । मुनि श्री प्रमाणसागर जी

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बैरी

सबसे बड़ा बैरी = “अपुरुषार्थ” मुनि श्री प्रणम्यसागर जी

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ज्ञान

धन होने पर धनी कहलाते हैं, ज्ञान होने पर ज्ञानी ! पर ज्ञान तो कीड़े मकोड़ों को भी होता है ? उनका ज्ञान गुजारे भर

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संस्कृति / सभ्यता

संस्कृति/सभ्यता आंतरिक, स्थायी, भारतीय चेतना को परिष्कृत करती है/जीवन को सुधारती है । मुनि श्री प्रमाणसागर जी

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दान

महाराणा प्रताप ने जंगल में घास की चार रोटियाँ बनायीं, तीन कोई जानवर उठा ले गया । चौथी रोटी दान की थी, बच्चा तक भूखा

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पाप

पाप परिस्थिति नहीं कराती, मन:स्थिति कराती है । जिस परिस्थिति में रागी पाप करता है, उसी परिस्थिति में वैरागी पुण्य करता है । क्षु. श्री

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मंगल आशीष

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April 15, 2018

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