Category: वचनामृत – अन्य
भगवान महावीर का सिद्धांत
एक तरफ भगवान के दर्शन हों, दूसरी ओर चींटी की रक्षा तो पहले चींटी की ओर देखो । चींटी की ओर देखोगे तो भगवान बनोगे,
सफलता
सफलता किसी पर आश्रित नहीं होती – पैसा, प्रसिद्धि आदि पर नहीं। गुणों को निखारना/उन्हें बनाये रखना सफलता है । मुनि श्री प्रमाणसागर जी
धर्म और व्यस्तता
Busy life में धर्म की Priority नीचे हो जाती है, क्या करें ? धर्म को Priority दोगे तो life busy से easy हो जायेगी ।
जीवन से प्रेम
जीवन से प्रेम तो साधू ही करते हैं क्योंकि वे उसकी क़ीमत जानते हैं/सुख में रहते हैं । भिखारी/दुखी के मरने पर सब संतोष करते
जानना / मानना
जानने के साथ मानने वाले युधिष्ठिर, और सिर्फ़ जानने वाले दुर्योधन बनते हैं । मुनि श्री प्रमाणसागर जी
सदुपयोग / दुरुपयोग
सदुपयोग – समय पर किया गया कार्य, दुरुपयोग – समय निकलने के बाद किया गया कार्य । मुनि श्री प्रमाणसागर जी
साधु
साधु ब्राम्हण होता है – ज्ञान की अपेक्षा, साधु वैश्य होता है – हमेशा फ़ायदे का काम करता है , साधु क्षत्रिय होता है –
जन्म / मरण
जनसाधारण जन्म से खुश, मरण से डरता है; साधुजन मृत्यु का महोत्सव मनाते हैं, जन्म से डरते हैं (गर्भ की पीड़ा/बार-बार जन्म से) । मुनि
धर्म
धर्म क्या है ? अधर्म का अभाव ही धर्म है । (और अधर्म को तो हम सब खूब समझते ही हैं) मुनि श्री प्रमाणसागर जी
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