Category: वचनामृत – अन्य

दृष्टि

जड़* पर दृष्टि रहे तो, जड़ मज़बूत, गहरी होगी । जड़* का स्वभाव समझ आयेगा । * Root मुनि श्री विनिश्चयसागर जी

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जीवन

सारंगी जीवन है, सारंगी के ज्ञान रूपी तारों को , साधना रूपी ऊँगुलियों से बजाया तो मधुर संगीत निकलेगा, वरना ये सारंगी कवाड़ा हो जायेगी ।

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धर्म

पहाड़ों पर पानी दिखता नहीं है, पर सब मीठे पानी की नदियाँ वहीं से निकलती हैं । समुद्र में पानी ही पानी है पर प्यास

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विश्वास/श्रद्धा

विश्वास संसारी जीवों पर होता है, श्रद्धा सच्चे देव, शास्त्र, गुरु पर होती है । मुनि श्री विनम्रसागर जी

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धर्म

धर्म का सहारा लेकर हम मृत्यु से तो नहीं बच सकते, हाँ !  मृत्यु के भय से जरूर बच सकते हैं । मुनि श्री प्रमाणसागर जी

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पर्वराज की विदाई/वात्सल्य

पर्वराज हमें उजाला देकर कल चले गये । अब हमारा कर्तव्य है कि उस दीपक में लगातार तेल ड़ालते रहें, लौ/बत्ती को संभालते रहें ताकि

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उत्तम ब्रम्हचर्य धर्म

जनसंख्या की वृद्धि रोकने के लिये परिवार नियोजन की जरूरत नहीं, पाप के नियोजन की  जरूरत है । वासना ही है जो उपासना और आत्मा की

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उत्तम आकिंचन धर्म

ग्रह उनको ही लगते हैं, जिन पर परिग्रह होती है । तन के अनुरूप ही मन का नग्न होना, आकिंचन है । तुम्बी तैरती, तैराती औरों

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उत्तम त्याग धर्म

आप आम को खाने से पहले उसे दबा दबा कर ढ़ीला करते हैं, फिर उसके ऊपर से टोपी (ड़ंठल) हटाते हैं, खाने से पहले चैंप

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मंगल आशीष

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