Category: वचनामृत – अन्य
उत्तम तप धर्म
तप प्रकाशन के लिये नहीं ,प्रकाशित करने के लिये होना चाहिये, आत्मा को प्रकाशित करने के लिये । मोक्ष साधन वाले नहीं जाते ,साधना वाले
उत्तम संयम धर्म
पुराने समय में पहले दीक्षा काल होता था तब शिक्षा काल, इसी प्रकार भगवान के कल्याणकों में पहले दीक्षा कल्याणक फिर ज्ञानकल्याणक होता है ।
उत्तम सत्य धर्म
सत्य कभी कड़ुवा होता ही नहीं, बड़ी अजीब बात है !! अभी तक तो हम सुनते आ रहे हैं कि सत्य कड़ुवा होता है । जब
उत्तम शौच धर्म
उत्तम शौच यानि लोभ समाप्त होने पर जो पवित्रता प्राप्त होती है । उत्तम सोच वाले को ही उत्तम शौच प्राप्त होती है । लाभ पर तो
धर्म की सीख
धर्म गले लगाकर सिखाया जाता है, ठुकराकर नहीं । मुनि श्री प्रमाणसागर जी
तर्क/कुतर्क
तथ्य को समझने के लिये जो संवाद होते हैं, वे तर्क हैं । तथ्य को काटने वाले संवाद कुतर्क हैं । मुनि श्री प्रमाणसागर जी
रक्षाबंधन
संसार के हर खेल और कार्य में कुछ नियम/बंधन होते हैं, बंधन के बिना जीवन चलता नहीं है । अपने को बंधन में रखना उत्तम
स्वतंत्रता दिवस
बच्चों के हाथ से ज़हर हटा दिया तो क्या उनको मरण से आजाद कर दिया ? यदि ज़हर की जगह हथेली पर स्मैक रख दिया
कर्मोदय
गांधी जी एक गाल पर थप्पड़ खाने के बाद दूसरा गाल इसीलिये आगे कर देते थे, क्योंकि वे जानना चाहते थे कि मेरे पाप का
आत्मकल्याण
आत्मकल्याण से पहले जरूरी है – जीवकल्याण तथा संस्कृति कल्याण । आचार्य श्री विनिश्चयसागर जी
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