शरीर पूरा पवित्र नहीं हो सकता, फिर भी हम उसे पवित्र करने में लगे रहते हैं।
मन पवित्र हो सकता है, पर उसकी ओर हमारा ध्यान ही नहीं जाता ।
(ब्र. संजय)
Wise get more used to enemies,
than fools to friends.
पाँव सूखे पत्तों पर,
अदब से रखना,
धूप में माँगी थी तुमने
पनाह इनसे कभी।
(डा.मनीष)
दूसरों के –
सुख में “कारण” बनो,
“भागीदार” नहीं ।
दुःख में “भागीदार”,
“कारण” नहीं ।
(मंजू)
We all are broken (less or more).
But remember-
BROKEN CRAYON STILL COLORS THE SAME.
(Parul-Delhi)
दु:ख – पानी ना मिलने की प्यास
सुख – पानी पीते समय की, बढ़ती प्यास
जब “पर” से विरक्ति होगी, तभी आत्मोन्नति होगी ।
Happiness is a delicate balance between-
” What I want & what I have.”
It is an inner joy that can be …
” Sought & Caught “
but can never be ” Taught & Bought.”
(Parul-Delhi)
स्वाभिमानी, अभिमानी नहीं हो सकता ।
आचार्य श्री विद्यासागर जी
प्रेशर कुकर की तरह, क्रोध का प्रेशर आये तो प्रसन्नता की सीटी बजाओ ।
मुनि श्री प्रमाणसागर जी
Patience is bitter,
but it’s fruits are sweet.
सोच छोटी यानि उन्नति की सीढ़ियां छोटी छोटी,
गंतव्य पर पहुँचने में अधिक समय लगेगा ।
चिंतन
Remember !
You are a human, not a chemical.
So think before you react.
(Parul-Delhi)
भाग्य झरना है तो पुरुषार्थ कुआँ ।
बहुलता तो पुरुषार्थ की ही है न !!
चिंतन
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