माता पिता के लाड़ प्यार से गुरू की ड़ांट ज्यादा उपयोगी होती है ।

आचार्य श्री विद्यासागर जी

इंसान मौत से बचने की कोशिश करता है परन्तु नरक से बचने की नहीं,
जबकि हकीकत ये है कि कोशिश करने से इंसान नरक से तो बच सकता है पर मौत से नहीं ।

(धर्मेंद्र)

एक ज़ोकर ने लोगों को एक ज़ोक सुनाया, सब लोग बहुत हँसे,
उसने वही ज़ोक दुबारा सुनाया तो कम लोग हँसे,
उसने वही ज़ोक फिर से सुनाया तो कोई भी नहीं हँसा ।

फिर उसने एक बहुत प्यारी बात बोली –
अगर तुम एक खुशी को लेकर बार बार खुश नहीं हो सकते, तो एक ग़म को लेकर बार बार क्यों रोते हो ?

(श्री संजय)

मुंबई महानगर में जैन संत आचार्य श्री सुबाहुसागर जी महाराज की सल्लेखना पूर्वक समाधी 4 नवम्बर को हो गई ।

इसीतरह मुनि श्री संयमसागर जी की समाधी 23 अक्टूम्बर को हुई थी ।

वृद्धावस्था में धर्म साधना ना हो पाने की वजह से कई दिनों से आपने अन्न जल का त्याग कर दिया था ।
अंत समय दूसरे मुनिराज तथा श्रावकों के सानिध्य में भगवान के नाम का उच्चारण/स्मरण करते हुये आपने शांतिपूर्वक देह का त्याग कर दिया ।

जब अपनी इच्छायें नहीं रह जातीं तब वे दूसरों की इच्छाओं को पूरा कर सकते हैं ।
इसीलिये बुजुर्गों ( तथा साधूओं ) से आर्शीवाद लिया जाता है ।

श्री रविशंकर जी

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