अगर तुम एक खुशी को ले बार-बार नहीं खुश हो सकते,
तो फिर एक ही ग़म को ले कर बार-बार रोते क्यों हो ?
(Dr. Sudheer)
जब खर्च कर रहे हो तो मान के चलिए कि पुण्य की कमाई है,
और जब दान दे रहे हो तो मान के चलिए कि पाप की कमाई है,
सो दिल खोल के दान दें ।
मुनि श्री सुधासागर जी
शास्त्र – ज्ञान को कर्णों का अतिथी बनाते रहो ।
(अतिथि का हम स्वागत करते हैं, आदर से उन्हें सुनते हैं ।)
आलोचक कैंची हैं जो बस काटते ही रहते हैं ।
प्रशंसक सुई हैं जो सिलते/जोड़ते रहते हैं ।
कैंची को दर्जी पैरों में रखता है, सुई को पगड़ी में रखता है ।
आप कहाँ रहना चाहते हो ?
मुनि श्री तरुणसागर जी
If you make a small mistake. It looks very big for your loved ones…
So if any one is angry on you for your little mistake, think that they love you a lot.
(Shri Dharmendra)
अभी
मुझे
और
धीमे
कदम
रखना है,
अभी तो
चलने की
आवाज़
आती है ।
“अपना घर” – मुनि श्री क्षमासागर जी
वर्णमाला में ‘र’ के बाद ‘ल’ आता है ।
यदि ‘बैर’ पालोगे तो तुम ‘बैल’ बनोगे और लोग तुम्हें पालेंगे ।
चिंतन
The single finger which wipes out tears during our failure is much better than the 10 fingers which comes together to clap for our victory.
(Mr. Asheesh Mani Jain)
जलते कोयले को शीतलता देने के उद्देश्य से पानी ड़ालना हिंसा है ।
वस्तु के स्वभाव के विपरीत व्यवहार न करें ।
चिंतन
चंदन की खुशबू कुछ दूर तक ही जाती है,
चारित्र की खुशबू देवलोक तक जाती है ।
आचार्य श्री महाश्रमण जी
If you can’t fly,
Run
If you can’t run
Walk
If you can’t walk
Crawl
But keep moving
towards your Goal.
That’s true Efforts & Life
(Mr. Mehul)
यदि महाभारत में युधिष्ठर झूठ नहीं बोलते तो शायद महाभारत समाप्त नहीं होता ।
गृहस्थों के लिये अच्छे उद्देश्य से झूठ बोलना युक्त्ति संगत है ।
चिंतन
हम सब पाँच गेंदों को हवा में उछाल उछाल कर खेल रहे हैं ।
इन गेंदों के नाम हैं – व्यवसाय, परिवार, स्वास्थ, मित्र और नैतिकता ।
व्यवसाय की गेंद तो रबड़ की है, गिर भी गयी तो फिर उछल कर हाथ में आ जायेगी ।
पर बाकी चारौं गेंदें, काँच की हैं – एक बार हाथ से छूटीं तो टूट जायेगीं, फिर जुड़ नहीं पायेंगी ।
व्यवसाय/नौकरी के लिये बाकी चारौं को टूटने मत देना ।
संतुष्टि प्रकाश है,
सफलता छाया है ।
संतुष्टि पा ली तो सफलता/छाया पीछे पीछे आयेगी ही ।
मुनि श्री अनुभवसागर जी
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