Tag: धर्म
जीवन
जीवन बांसुरी जैसा है, जिसमें बहुत से छेद (कमियाँ) हैं, अंदर से खोखली है (सार नहीं है) । यदि सही छेद को, सही समय पर
धर्मध्यान का फल
सन् 1994 में गुरू श्री के प्रथम दर्शन करके गुना से लौट रहे थे । श्री जैसवाल ने अपने Managing Director श्री आई. महादेवन के
धर्म
( संसार के साथ साथ ) धर्म को भी बसाओ, बिसारो मत वरना अपने आप को पहचान नहीं पाओगे ।
धर्म की राह पर प्रगति
धर्म की राह पर प्रगति करना चाहते हो ? यदि नहीं, तो बात खत्म । यदि हाँ, तो – Admit करें की आपमें कमजोरियाँ हैं
धर्म
सच्चे उपाय (धर्म) के बिना दुःख कम भी नहीं होते हैं और सहे भी नहीं जाते हैं ।
धर्म प्रभावना
जैसे कमजोर गाय भी बछड़े को दूध पिलाकर हष्ट-पुष्ट करती है, ऐसे ही अल्पबुद्धि जीव भी धर्म-प्रभावना करके दुसरों को आत्मरूप से बलबान बना सकते
धर्म
धर्म की पहचान, अधर्म पहचानने से होगी । अधर्म कम करते जाओ, जीवन में धर्म आता जायेगा । अधर्म किसके लिये ? शरीर के लिये
धर्म-पुरूषार्थ
शुभ सरस्वती है तथा लाभ लक्ष्मी है । पर हम सब लाभ ही लाभ के पीछे लगे रहते हैं । शुभ बढ़ा लो ( अपने
धर्म
धर्म तो Homeopathic दवा है। जो आपकी बीमारियों ( कमज़ोरियों) को पहले दिखाती ( उभारता ) है, फिर ठीक करती है । चिंतन
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