Tag: धर्म
भक्ति/आदर
यदि सिंदूर को पत्नी माथे पर धारण करले तो उस एक चुटकी सिंदूर से पत्नी से पति बंध जाता है । ऐसे ही भक्ति/आदर से
हमारे धर्मध्यान का बच्चों पर असर
प्रश्न :- क्या हमारे धर्मध्यान/पुण्यकर्म हमारे बच्चों को लगेंगे ? श्रीमति शर्मा उत्तर :- यदि हमारे बच्चों के खाते में पुण्यकर्म नहीं हैं, तो हमारे
धर्म की विनय
करैया गाँव के बौहरे जी की हवेली मंदिर के सामने थी । उनका वैभव और यश चरम सीमा पर था, लोग अच्छा काम करने जाने
पत्नी
शास्त्रों के अनुसार पत्नी अनुगामिनी होती है, पर आजकल तो देखा जाता है कि पति पत्नी को Follow करते हैं, ऐसा क्यों ? क्योंकि आजकल
भोग/धर्म
यदि भोगना ही है तो धर्म करते हुये भोगो । जैसे वृक्ष के फल तोड़कर खाना – धर्म, वृक्ष काटकर फल खाना – अधर्म ।
धर्म
धर्म प्राणवायु है, हमारे जीवन के लिये Oxygen है, जो दिखती नहीं है, पर खाना, पानी, माँ आदि से भी ज्यादा महत्वपूर्ण है | चिंतन
धर्म
धर्म व्यक्तिगत साधना का है , पिछलग्गू बनने का नहीं । कब तक बच्चे बने अपनी माँ की ऊँगली पकड़कर चलते रहोगे!
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