Category: अगला-कदम

सम्बंध

दो प्रकार का सम्बंध – 1. संयोग द्रव्य – द्रव्य साथ रहकर एक दूसरे को प्रभावित करते हैं जैसे दूध और पानी। 2. समवाय द्रव्य

Read More »

नित्य

हर पदार्थ में उत्पाद/ व्यय हो रहा है तो नित्य कैसे ? क्योंकि हर पदार्थ में – “यह वही है” बना रहता है। यही ध्रौव्यगुण/

Read More »

सम्यग्दर्शन

तत्त्वों के अर्थ तो अलग-अलग ले सकते/ लिये जाते हैं। इसलिये प्रयोजनभूत तत्त्वों के सम्यक् अर्थ पर श्रद्धान से सम्यग्दर्शन कहा है। मुनि श्री मंगल

Read More »

भाव / चरण / करण

भाव प्रधानता – 1 से 4 गुणस्थान में चरण प्रधानता – 5 से 7 प्रवृत्त्यात्मक चरण + करण प्रधानता – 7 गुणस्थान में करण प्रधानता

Read More »

मोक्ष

मोक्ष शुभ रूप है, शुभ के अंतिम रूप को शुद्ध कहते हैं, पुण्य रूप है (क्योंकि आज भी पुण्यबंध में कारण है) मुनि श्री प्रणम्यसागर

Read More »

द्रव्य

द्रव्य में गुण तथा पर्याय, ज्ञान की पहुँच पर्याय तक, भावात्मक गुण तक पहुँच नहीं। अर्थ-पर्याय पर भी पहुँच नहीं। व्यंजन पर्याय दो तरह से

Read More »

व्यवहार

द्रव्य संग्रह जी में कहा है… “पुद्गल के सुख दुःख है”, यह व्यवहार से कहा है/ “पर” वस्तु से सुख दुःख की अपेक्षा से कहा

Read More »

वर्तना

परिणमन को बनाये रखने की स्थिति वर्तना है। परिणमन को समय सापेक्ष देखेंगे तो व्यवहार हो जायेगा, यदि सिर्फ़ परिणमन तो वर्तना/ निश्चय काल का

Read More »

द्रव्याणि

द्रव्याणि पांचवें अध्याय का दूसरा सूत्र है। पहला सूत्र कायवान अजीवों का। तीसरा “जीवाश्च”। बीच का यह (दूसरा) सूत्र Bridge है, पहले तथा तीसरे के

Read More »

चल-अचल प्रदेश

आत्मा में 8 अचल प्रदेश नाभि स्थान पर। पुद्गल में भी होते होंगे। एक प्रदेशी अणु में ? उसे तो चल ही मानना होगा क्योंकि

Read More »

मंगल आशीष

Archives

Archives
Recent Comments

December 23, 2024

December 2024
M T W T F S S
 1
2345678
9101112131415
16171819202122
23242526272829
3031