Category: डायरी

समस्या

संसार का दूसरा नाम ही समस्या है, पर समाधान प्रभु का दूसरा नाम।

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दृष्टिकोण

Cracked कप को देखकर…. “अरे ! यह तो टूटने वाला है”…. नकारात्मक दृष्टिकोण। Crack ही तो है, टूटा नहीं है….सकारात्मक। (एकता-पुणे)

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विश्वास

हालाँकि अंधकार बहुत विशाल है, दीपशिखा छोटी सी, पर मेरा विश्वास दीपशिखा पर विशाल है। (मेरे आसपास वह अंधकार को भटकने भी नहीं देगी) श्री

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ईश्वर

अपने में ईश्वर को देखना…. ध्यान है, दूसरों में ईश्वर को देखना…….प्रेम, सबमें ईश्वर को देखना………ज्ञान है। (श्रीमति शर्मा)

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संगति

अच्छे की संगति से और अच्छे बन सकते हैं, वैसे ही बुरे की संगति बुराईयों को और बढ़ा देती है। जैसे हीरा हीरे को तराश

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मंदिर/तीर्थ सीढ़ियाँ चढ़कर ?

मंदिर/तीर्थ सीढ़ियाँ चढ़कर ही क्यों बनाये जाते हैं ? ताकि एक-एक सीढ़ी चढ़ते हुये महसूस करें… 1. बुराई/कमज़ोरियों से ऊपर उठ रहे हैं। 2. विशुद्धता

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विनयवान

“विद्या ददाति विनयम्” यानि विद्या विनय लाती है। यदि मैं विनयवान नहीं हूँ तो इसका अर्थ हुआ कि मैं विद्यावान भी नहीं हूँ। (ब्र.नीलेश भैया)

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व्यक्ति

व्यक्ति महत्त्वपूर्ण नहीं व्यक्तित्व महत्त्वपूर्ण होता है।

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घमंड

घमंड दबे पांव आता है, छम छम करता हुआ नहीं।   एकता – पुणे (प्रतिक्रिया  निकलती है छम छम करके)

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मंगल आशीष

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